रायपुर: छत्तीसगढ़ में ‘मोदी की गारंटी’ की चर्चा है। चुनावी वादों से उपजी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों में से एक गारंटी आज पूरी हो रही है। दरअसल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की तरफ से राज्य के 18 लाख से अधिक परिवारों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति तथा किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की 3100 रूपए में खरीदी के वादे पर अमल के बाद अब किसानों को दो साल का बकाया बोनस का भुगतान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि 25 दिसंबर यानी आज को पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती राष्ट्रीय सुशासन दिवस पर राज्य के किसानों को खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 की बकाया धान की बोनस राशि 3716 करोड़ 38 लाख 96 हजार रूपए का भुगतान करेंगे। यह पूरा कार्यक्रम रायपुर के बेन्द्री गांव में संपन्न होगा जहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत उपमुख्यमंत्री द्वय अरुण साव, विजय शर्मा समेत कई बड़े नेता मौजूद रहेंगे।
बहरहाल आज हम मोदी की गारंटी के साथ ही बात कर रहे है दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटल बिहार वाजपेयी के उस गारंटी की जिसे उन्होंने पूरा किया था। यह गारंटी थी पृथक छत्तीसगढ़ की।
दरअसल छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए प्रदेश में लगातार आंदोलन चलाये जा रहे थे। इस मांग की नींव रखी 1965 में आचार्य नरेंद्र दुबे ने। तब उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ समाज’ की स्थापना की। इसी तरह 1967 में डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ी महासभा की जगह पर ‘छत्तीसगढ़ी भ्रातृ संघ’ की स्थापना की और छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को नया स्वरुप दिया।
लगातार तेज हो रही मांग के बीच 1999 में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने रायपुर के सप्रे शाला मैदान में बड़ी रैली की। यहाँ उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगो को विश्वास दिलाया कि वह उन्हें 11 सांसद दे, वह छत्तीसगढ़ राज्य देंगे। और जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी उसके एक साल बाद 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 4 सितंबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आ गया। इस तरह दशकों के इस मांग को हर कलिसि ने पूरा होते देखा।
इसी साल एक नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य औपचारिक रूप से मध्यप्रदेश से पृथक होकर नया राज्य बना। अजीत प्रमोद जोगी यहाँ के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए। इस तरह हर कोई आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें याद कर रहा है, उनकी अटल गारंटी को याद कर रहा है। यही वजह है कि भाजपा छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में उनका जिक्र जरूर करती है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को एमपी के ग्वालियर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे भारत के तीन बार के प्रधानमन्त्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 में और फिर19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे।
वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभाके लिए दस बार जबकि दो बार राज्य सभा में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के संसद के तौर पर कार्य किया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। 16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के बाद वाजपेयी का निधन हो गया। मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।