रायपुर: सीएम विष्णुदेव साय की अगुवाई में आज छत्तीगसढ़ सरकार के कैबिनेट की मीटिंग नया रायपुर स्थित मंत्रालय में होने जा रही है। यह मीटिंग इसलिए भी खास हैं क्योंकि मंत्रियों को विभागों के आबंटन के बाद यह पहली बैठक है। इस बैठक में मंत्रियों को उनके विभाग से परिचय कराते हुए उनके दायित्वों की जानकारी दी जाएगी।
साय कैबिनेट में आज मोदी की गारंटी पर गहनता से चर्चा होगी, कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाये जायेंगे। जिन दो योजनाओं पर कैबिनेट गंभीरता से मंथन करेगी उनमे महतारी योजना और गरीबों को 500 रुपये में सिलेंडर योजना प्रमुख हैं। इन दोनों योजनाओं को किस तरह अमलीजामा पहनाया जाए और इसका लाभ किस तरह समाज के अंतिम छोर तक पहुंचे इस पर मंत्री और अफसरों के बीच भी वार्ता होगी।
बात सस्ते गैस सिलेंडर की करें तो भाजपा ने अपने घोषणापत्र यानी ‘मोदी की गारंटी’ में इस बात का वादा किया था कि सत्ता में वापसी के बाद वह प्रदेश की जनता को महज 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराएँगे। भाजपा अब सरकार में हैं और आज कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा होगी। तो आखिर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर प्रदेश के किन लोगों को यह सस्ता सिलेंडर मिल पायेगा? क्या इनके दायरे में बीपीएल परिवार होगा या सिर्फ अंत्योदय परिवारों के लिए ही यह योजना होगी? या फिर हर परिवार इसका लाभ ले पायेगा?
मीडिया में छपी ख़बरों की माने तो पांच सौ रुपये में सिलेंडर मिलने की आस में बैठे लोगों को झटका लग सकता है। जानकारी के अनुसार अभी सिर्फ उज्जवला गैस कनेक्शन धारकों को ही इसका लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सभी उज्जवला गैस कनेक्शनधारकों को संबंधित गैस एजेंसी में ई-केवाईसी करवाना जरूरी है। हालाँकि यह भी संभव हैं की आने वाले दिनों में इसका लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को मिलेगा। फिलहाल इस संबंध में कोई क्राइटेरिया तय नहीं किया जा सका है। इसी विषय पर कैबिनेट में चर्चा भी होनी हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश में किन परिवारों को महज 500 रुपये में रसोई गैस मिल पाता हैं। कांग्रेस ने चुनाव से पहले भाजपा की इस मुद्दे में घेराबंदी भी की थी। उन्होंने कहा था कि उनके घोषणापत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया हैं कि इसका लाभ सभी को मिलेगा लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया हैं।
सिलेंडर से अलग प्रदेश की साय सरकार पूर्ववर्ती भूपेश बघेल के एक पुराने फैसले को पलटने की तैयारी में जुटी हुई है। यह फैसला प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन से जुड़ा हैं। दरअसल साय सरकार एक बार फिर से राजिम मेले को कुम्भ का दर्जा दिए जाने की तैयारी में हैं। पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनते ही भूपेश सरकार ने प्रस्ताव लाकर राजिम कुम्भ का नाम राजिम पुन्नी मेला कर दिया था। तब पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस ने सरकार बनाने के बाद दावा किया कि वे मेले के प्राचीन नाम को बहाल कर रहे हैं। कांग्रेस ने तर्क दिया था कि प्राचीन नाम राजिम माघ पुन्नी मेला था न कि राजिम कुंभ और 2006 में भाजपा सरकार ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नाम बदलकर इसे कुंभ मेला कर दिया।