OP Choudhary is exploring the possibilities of contesting on this seat: रायगढ़। जिला मुख्यालय की सीट इस बार कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगी। भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी इस सीट पर चुनाव लड़नें संभावनाएं तलाश रहे हैं। ओपी चौधरी ने अभी चुनाव लडने को लेकर चुप्पी नहीं तोड़ी है लेकिन रायगढ़ के पार्टीगत कार्यक्रमों में उनकी लगातार सक्रियता है। ऐसे में रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक को जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड सकता है।
दरअसल, रायगढ़ विधानसभा सीट पर पिछले चार चुनाव से लगातार विधायक के चेहरे बदल रहे हैं। कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट रहे रायगढ़ मे मतदाता अब चेहरा देखकर विधायक चुन रहे हैं। पिछले चार चुनावों की ही बात करें तो साल 2003 में इस सीट से भाजपा के विजय अग्रवाल चुनकर आए थे जबकि 2008 में कांग्रेस के शक्राजीत नायत को 2013 में भाजपा के रोशनलाल अग्रवाल को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। इस बार कांग्रेस के प्रकाश नायक इस सीट से विधायक रहे हैं, लेकिन उनकी दूसरी पारी इस बार आसान नहीं होगी। चंद्रपुर सीट से चुनाव लडने की तैयारी कर रहे ओपी चौधरी अब रायगढ़ की ओर कम बैक की तैयारी में है। सियासी गलियारे में ये चर्चा है कि चंद्रपुर सीट से संयोगिता सिंह जूदेव की मजबूत दावेदारी के चलते ओपी चौधरी रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड सकते हैं।
पिछले कुछ समय से ओपी चौधरी की सक्रियता भी इस सीट पर काफी अधिक है। हालांकि मीडिया के सामने उन्होने इस विषय पर चुप्पी साधी है, लेकिन भाजपा के पदाधिकारियों के बीच इस विषय पर लगातार चर्चा चल रही है। भाजपा का मानना है कि ओपी चौधरी की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि रायगढ़ ही नहीं चंद्रपुर या फिर जिले की किसी अन्य सीट पर भी वे चुनाव लड सकते हैं बल्कि उनका जीतना भी तय है। भाजपा का कहना है कि ओपी का चुनाव लडना न लडना भले ही संगठन तय करे, लेकिन भाजपा की इस सीट पर जीत सुनिश्चित है।
OP Choudhary is exploring the possibilities of contesting on this seat: इधर कांग्रेस संगठन इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती। कांग्रेस का कहना है कि रायगढ़ ही नहीं बल्कि जिले की पांचों सीटों पर कांग्रेस काफी मजबूत है। ऐसे में ओपी चौधरी या फिर किसी बडे चेहरे के चुनाव लडने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पार्टी ने 2023 के चुनाव को लेकर अभी से तैयारियां शुरु कर दी है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार की जनहितकारी योजनाओं को लेकर जनता में अपार उत्साह है, जबकि भाजपा छत्तीसगढ में अपना जनाधार खो चुकी है। ऐसे में किसी भी स्थिति में कांपीटीशन में आने बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की कोशिश कर रही है।