Bemetara Mata Siddhi Mandir: सिद्धि माता मंदिर में विरोध प्रदर्शन, सड़क पर उतरे सैकड़ों लोग, कर रहे ये मांग

Bemetara Mata Siddhi Mandir: सिद्धि माता मंदिर में विरोध प्रदर्शन, सड़क पर उतरे सैकड़ों लोग, कर रहे ये मांग

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  • Publish Date - March 21, 2025 / 02:17 PM IST,
    Updated On - March 21, 2025 / 02:18 PM IST
Bemetara Mata Siddhi Mandir

Bemetara Mata Siddhi Mandir | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बेमेतरा जिले के सिद्धि माता मंदिर में 60 साल पुरानी बकरों की बलि देने की प्रथा को लेकर विरोध प्रदर्शन।
  • प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस प्रथा को बंद किया जाए।
  • मंदिर की परंपरा में होली के दूसरे दिन से लेकर तेरस तक 13 दिनों तक बकरों की बलि दी जाती है।

बेमेतरा: Bemetara Mata Siddhi Mandir छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में स्थित सिद्धि माता मंदिर में होली के दूसरे दिन से 13 दिनों तक बकरों की बलि दी जाती है। इसी प्रथा को बंद करने के लिए आज दंड स्वामी ज्योतिर्मयानंद महाराज सहित सैकड़ों लोग सड़क पर उतर गए है और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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Bemetara Mata Siddhi Mandir प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस प्रथा को बंद किया जाए। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस और आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं है।

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गौरतलब है कि बेमेतरा से 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम संडी में स्थित सिद्धि माता का मंदिर है। मान्यता है कि, एक किसान जीवन लाला साहू को स्वप्न देकर खेत में माता सिद्धि उद्गम हुई थी। 1965 में हल चलाते समय खेत में देखी थी। माता स्वरूप मूर्ति, मन्नता की बखान है कि जीवन साहू कि पत्नी आए दिन भग कर अपने मायके चली जाती थी। एक दिन साहू को स्वप्न आया। जहां खेत में माता के स्वरूप उद्गम हुई। सिद्धि माता जिसको जीवन साहू ने सुमर कर मन्नत मांगी कहा की मेरी पत्नी बार -बार अपने मायके चली जाती है साथ ही संतान की प्राप्ति की माता से मन्नत मांगी।

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जिसके बाद पत्नी उसी दिन वापस घर आ गई और कुछ समय बीत जाने के बाद पुत्र प्राप्त हुआ। जीवन साहू को खुशी हुआ और माता के नाम पर बकरा की बलि दिया, जिसके बाद से आज लगभग 60 साल हो गया। माता की मंदिर धीरे धीरे बृहद रूप लिया। आज 111 फिट की मंदिर निर्माणाधीन पर है। उसी के चलते बात धीरे धीरे फैल गया और लोग यहां अपनी मुराद लेकर आते है और पूरा होने पर होली के दूसरे दिन से लेकर तेरस तक यह बलि देने की परंपरा चले आ रहा है। लोग इस परंपरा को निभा रहे है। बलि की परंपरा में आज लगभग 60 साल हो गया है लोग इस मंदिर में माथा टेक मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होती है और फागुन के होली के तेरस के 13 दिन के अंदर में बलि देते है।

सिद्धि माता मंदिर में बकरों की बलि देने की प्रथा क्यों है?

सिद्धि माता मंदिर में बकरों की बलि देने की प्रथा 60 साल पुरानी है। यह प्रथा तब शुरू हुई जब एक किसान जीवन लाला साहू ने माता से मन्नत मांगी थी, जिसके बाद उनकी पत्नी घर वापस आई और उन्हें संतान प्राप्ति हुई। इस खुशी में उन्होंने माता के नाम पर बकरा बलि दिया, और तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

क्या इस प्रथा को बंद करने की मांग की जा रही है?

सिद्धि माता मंदिर में बकरों की बलि देने की प्रथा के खिलाफ दंड स्वामी ज्योतिर्मयानंद महाराज और अन्य प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे हैं और इस परंपरा को बंद करने की मांग कर रहे हैं।

कितने दिनों तक बकरों की बलि दी जाती है?

सिद्धि माता मंदिर में होली के दूसरे दिन से लेकर तेरस तक यानी 13 दिनों तक बकरों की बलि दी जाती है।