Portal politics! When will fake journalists be sent behind bars?

‘पोर्टल’ वाली पॉलिटिक्स! कब भेजा जाएगा फर्जी पत्रकारों को जेल की सलाखों के पीछे?

कब भेजा जाएगा फर्जी पत्रकारों को जेल की सलाखों के पीछे?! Portal politics! When will fake journalists be sent behind bars?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : October 25, 2021/11:10 pm IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 21 अक्टूबर को कलेक्टर्स और कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस में सोशल मीडिया में चलने वाली भ्रामक खबरों का पुरजोर खंडन करने और ऐसी गतिविधियों पर पैनी निगाह रखने की नसीहत दी थी। मुख्यमंत्री की नसीहत के 72 घंटे के भीतर ही एक वेब पोर्टल ने दिल्ली यात्रा पर गए कांग्रेस विधायकों के बारे में भ्रामक और अनर्गल बातें लिख डाली। जब विधायक FIR के लिये थाने पहुंचे, तो पोर्टल ने सारे खबरें डिलीट कर दी। अब बड़ा सवाल ये है कि ऐसी भ्रामक और असत्य खबरों का प्रचार-प्रसार करने वालों पर सरकार क्या कार्रवाई करने जा रही है। जैसा कि पोर्टल का कथित दावा था कि उसके पार वीडियोज हैं, तो क्या उन वीडियोज की जब्ती कर पुलिस सत्यता की जांच करेगी ताकि दूध का दूध…पानी का पानी हो सके। सवाल ये भी कि ऐसे फर्जी पत्रकारों को जेल की सलाखों के पीछे कब भेजा जाएगा? वेब पोर्टल को हमेशा के लिए बंद कराए जाने के लिए सरकार कब कदम उठाएगी?

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21 अक्टूबर को आयोजित कलेक्टर्स-कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों के कलेक्टर्स को सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाली अफवाह और दुष्प्रचार को कड़ाई से रोकने के निर्देश दिए और ऐसा करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई करने को कहा। इस कॉन्फ्रेंस के ठीक तीन दिन बाद 24 अक्टूबर को सिविल लाइन थाने में सत्तारूढ़ कांग्रेसी विधायक बृहस्पत सिंह, अनीता शर्मा, रामकुमार यादव और कुलदीप जुनेजा ने एक वेब पोर्टल के खिलाफ भ्रामक खबरें प्रसारित करने के आरोप में FIR दर्ज कराई। ना केवल राजधानी रायपुर बल्कि प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी कांग्रेस विधायकों ने इस वेब पोर्टल के खिलाफ FIR अभियान छेड़ दिया है।

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कांग्रेस विधायकों का सीधा आरोप है कि एक वेब पोर्टल के जरिये राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। सरकार के अच्छे काम विपक्ष समेत कुछ लोगों को रास नहीं आ रहे, इसलिए वो ऐसे वेब पोर्टल के जरिये भ्रामक खबरें प्रसारित कर भ्रम फैलाकर माहौल बिगाड़ने की साजिश के तहत काम कर रहे हैं। जाहिर है सत्तापक्ष के विधायकों ने आरोप लगाया है तो इस पर सियासी पलटवार होना तय है। घटनाक्रम पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने तंज कसा कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो चुका है। सरकार सुनने की क्षमता खोती जा रही है।

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अब सवाल ये कि कांग्रेस विधायकों के आरोपों में कितनी सच्चाई है? क्या वाकई एक बेहतर चल रही सरकार के खिलाफ कोई साजिश रच रहा है? क्या किन्हीं वेब पोर्टल के जरिये भ्रामक खबरों को जानबूझकर वायरल किया जा रहा है? सबसे बड़ा सवाल ये कि अगर ऐसा है तो फिर मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इनके खिलाफ क्या और कब तक कार्रवाई होगी ?

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