PM Modi Discuss on Narayanpur Mavali Mela in Mann ki baat

पीएम मोदी ने मन की बात में किया नारायणपुर के ‘मावली मेले’ का जिक्र, कही ये बड़ी बात

पीएम मोदी ने मन की बात में किया नारायणपुर के 'मावली मेले' का जिक्र! PM Modi Discuss on Narayanpur Mavali Mela in Mann ki baat

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:52 PM IST, Published Date : July 31, 2022/12:11 pm IST

नई दिल्लीः Narayanpur Mavali Mela पीएम मोदी ने आज रेडियो के जरिए देशवासियों से मन की बात की। मन की बात की ये 91वीं कड़ी है, जिसका प्रसारण आज किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के बारे में चर्चा करते हुए देशवासियों से हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ने की अपील की। वहीं, पीएम मोदी ने मन की बात में देश के कई राज्यों में वर्षा के बाद होने वाले मेलों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के मावली मेले की भी चर्चा की।

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Narayanpur Mavali Mela पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में अलग- अलग राज्यों में आदिवासी समाज के भी कई पारंपरिक मेले होते हैं। इनमें से कुछ मेले आदिवासी संस्कृति से जुड़े हैं, तो कुछ का आयोजन, आदिवासी इतिहास और विरासत से जुड़ा है, जैसे कि, आपको, अगर मौका मिले तो तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने जरुर जाईये। इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है। सरलम्मा जातरा मेला, दो आदिवासी महिला नायिकाओं – समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है। ये तेलंगाना ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। आँध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है। मारीदम्मा मेला जयेष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है और यहाँ का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है। यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में, मरिदम्मा मंदिर भी है। इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं।

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पीएम मोदी ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में बस्तर के नारायणपुर का ‘मावली मेला’ भी बहुत खास होता है। पास ही, मध्य प्रदेश का ‘भगोरिया मेला’ भी खूब प्रसिद्ध है। कहते हैं कि, भगोरिया मेले की शुरूआत, राजा भोज के समय में हुई है। तब भील राजा, कासूमरा और बालून ने अपनी-अपनी राजधानी में पहली बार ये आयोजन किए थे। तब से आज तक, ये मेले, उतने ही उत्साह से मनाये जा रहे हैं। इसी तरह, गुजरात में तरणेतर और माधोपुर जैसे कई मेले बहुत मशहूर हैं। ‘मेले’, अपने आप में, हमारे समाज, जीवन की ऊर्जा का बहुत बड़ा स्त्रोत होते हैं। आपके आस-पास भी ऐसे ही कई मेले होते होंगे। आधुनिक समय में समाज की ये पुरानी कड़ियाँ ‘एक भारतदृश्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। हमारे युवाओं को इनसे जरुर जुड़ना चाहिए और आप जब भी ऐसे मेलों में जाएं, वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर करें।

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क्या है मावली मेले का महत्व?

नारायणपुर का मावली मेला अपनी संस्कृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह मावली मेला 800 वर्ष पुरानी मावली परघाव की रस्म के चलते अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। इस मेले में यहां की संस्कृति को देखने के लिए देश विदेश के साथ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के कई जिलो के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। यह बस्तर के आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है. इस मेले में बस्तर संभाग के सभी क्षेत्रों के आदिवासी समाज के लोग जुटते है। इस मेले में आदिवासियों की संस्कृति देखने को मिलती है। यहीं कारण है कि इस मेले को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है. यह मेला क्षेत्र का सबसे बड़ा लोक उत्सव है।

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