‘आदिवासी आरक्षण’ के मुद्दे को लेकर होगा विधानसभा का विशेष सत्र, लिया जा सकता है ऐतिहासिक फैसला

'आदिवासी आरक्षण' के मुद्दे को लेकर होगा विधानसभा का विशेष सत्र : Special assembly session to be held on tribal reservation issue

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  • Publish Date - November 9, 2022 / 12:49 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:44 PM IST

रायपुर । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत को भेजा है। मुख्यमंत्री ने आगामी एक और दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सितंबर माह में राज्य सरकार के वर्ष 2012 में जारी उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था। न्यायालय ने कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है।

 

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इस फैसले के बाद आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। फैसले के बाद से राज्य के 42 आदिवासी समुदायों का संगठन छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (सीएसएएस) राज्य सरकार से नाराज है, वहीं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर आदिवासियों के आरक्षण अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने आज बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें, उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

 

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महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल जल्द वहां जाएगा। अध्ययन दल के गठन और इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है, ”आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों। आरक्षण के मामले को लेकर हमने विधानसभा अध्यक्ष से एक और दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का भी आग्रह किया है।”