रायपुरः सीएम भूपेश बघेल ने आज एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में लगातार काम कर रही है। हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का सबके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के साथ उचित क़ीमत देना शुरू किया, जिससे राज्य किसान आर्थिक रुप से समृध्द हो रहे हैं। उन्होनें कहा कि देश में अनाज की कमी को इंदिरा गांधी जी ने चुनौती के तौर पर लिया और देश के किसानों ने आह्वान किया कि हमें अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनना होगा। उसके बाद ही कृषि के क्षेत्र क्रांति आई। वहीं दौर है जब 1967 में एमएसपी घोषित हुआ।
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उन्होनें कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में 7 से बढ़ाकर 52 प्रकार के लघुवनोपजों को शामिल किया। इसके अलावा हमने वनोपजों का वैल्यू एडिशन भी किया। हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो कुटकी, रागी, लघु वनोपज सबके लिए समर्थन मूल्य निर्धारित किया। महुआ से पहले सिर्फ शराब बनती थी, आज लड्डू और एनर्जी ड्रिंक बनाये जा रहे। लोग तीखुर नही जानते थे, आज ड्रिंक्स बनाये जा रहे। पहले बस्तर काजू 50 रुपये में बाहर भेज दिए जाते थे, आज प्रोसेसिंग के कारण 1800 रुपये तक बिक रहा। महिलाओ को रोजगार मिला, प्रतिदिन 250 से 300 रुपये की आमदनी हो रही है।
सीएम भूपेश ने कहा कि व्यापारियों ने हमसे कहा आपने किसानों के लिए किया, मजदूरों के लिए किया, महिलाओं के लिए किया, हमारे लिए क्या किया। उद्योग का पहिया तब घूमेगा जब व्यापारी उनसे सामान ख़रीदेंगे और व्यापारी सामान तब बिकेगा जब जनता के जेब में पैसा होगा। मैंने कहा मैंने आप लोगों के लिए कुछ नहीं किया , बल्कि आप के ग्राहकों के जेब मे पैसा डाला है।
लॉकडाउन के दौरान किए गए कार्यों पर चर्चा करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सबसे पहले उद्योगों का पहिया कहीं घूमा है तो वो छत्तीसगढ़ में घूमा है। हमने उद्योगपतियों से चर्चा के बाद 2019-24 की औद्योगिक नीति बनाई। अब तक 150 MOU हो चुके हैं।
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सीएम बघेल ने कहा कि देश के किसान कृषि कानूनों को नहीं चाहते थे, फिर भी केंद्र सरकार ने किसानों पर जबरन कृषि कानूनों को लादने की कोशिश की। फिर केंद्र सरकार ने इसे वापस ले लिया। केंद्र सरकार की ओर से पत्रों के जवाब नहीं मिलने पर सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की समस्याओं को लेकर हमने केंद्र सरकार से लगातार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। केंद्र सरकार को विपक्षी राज्यों की सरकार की बातों को सुनना चाहिए, असहमति के बावजूद भी उनका सम्मान करना चाहिए। जब सब साथ बैठेंगे तब ही किसी भी समस्या का समाधान निकलेगा। उन्होनें कहा कि गांधीवादी तरीके से जब 16 देश आजाद हो सकते हैं तो गांधीवादी तरीके से ही आप किसी को अपनी बात मनवा सकते हो।