अंबिकापुर: No land for Disposal Dead Body लावारिश शवों को भी दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो पा रहा आलम ये है कि लावारिश शवों को नालों के करीब दफन कर खानापूर्ति की जा रही है। इंसान के साथ मवेशियों के अंतिम संस्कार के लिए भी निगम के पास जमीन मौजूद नहीं। कौन सा है ये नगर निगम और कैसे किया जा रहा है शवो का निपटारा?
No land for Disposal Dead Body देश के सबसे साफ सुथरे शहर अंबिकापुर में ये आलम है कि अब शव दफनाने के लिए 2 गज जमीन नहीं बची। शहर की गंदगी को लेकर बहती नाली औऱ नाली के किनारे लावारिश शव को दफन करने की तैयारी देचरकर हर कोई हैरान है… स्तब्ध है… निशब्द है।
दरअसल नगर निगम के लावारिस शवों को दफन करने के लिए मठपारा घाट का इस्तेमाल करता था, वहां अब शव दफन करने के लिए कोई जगह नहीं बची। आलम यह है कि शव दफन करने के दौरान दूसरे शवों के अवशेष बाहर निकल आते हैं। ये समस्या भी तुरंत निकलकर निगम से सामने आ खड़ी हुई हो ऐसा भी नहीं है। लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं। कर्मचारी शिकायत करते रहे लेकिन अधिकारी अपनी ठाट से बैठे रहे। यही कारण है कि अब गंदे नालों के बगल में बची जगह में शव को दफनाया जा रहा है। अब विपक्ष ने भी सत्ता पक्ष पर शवों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा रहा है।
यहीं नहीं अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में शासकीय जमीनों की इतनी किल्लत है कि अब तक अंबिकापुर नगर निगम की खुद की बिल्डिंग कहां बनेगी वो स्थान ही चिन्हित नहीं हो पाई है, जहां तक रही शवों के दफनाने की बात तो महापौर खुद इस समस्या को स्वीकार कर रहे हैं। महापौर डॉ अजय तिर्की का कहना है कि इसे लेकर कलेक्टर कार्यालय में आवेदन भी किया गया है और वहां से जगह मिलने के बाद ही एक जगह तय हो सकेगी।
हालांकि डॉ अजय तिर्की का यह भी कहना है कि आने वाले समय में इस तरह की संकट हर तरफ आने वाली है जिससे निपटने के लिए एक स्थान पर कई शव को दफन करने की प्रक्रिया भी अपनानी पड़ेगी।
वैसे कहा तो यही जाता है कि मौत के बाद आदमी तमाम समस्याओं और झंझटो से निजात पा लेता है मगर जिस तरह से अंबिकापुर में लावारिस शवों के साथ उनके अंतिम संस्कार को लेकर प्रक्रिया अपनाई जा रही है उससे यह कहा जा सकता है कि मौत के बाद भी लावारिस शवों को 2 गज जमीन भी नसीब नहीं हो पा रही है जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
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