रायपुरः Naxalite attack in Jhiram Ghati छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले को 10 साल पूरे चुके हैं। 25 मई 2013 को परिवर्तन यात्रा से लौट रहे कांग्रेस के काफिले में हुए हमले में 27 नेताओं समेत कुल 32 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें कई शीर्ष नेताओं ने अपनी जान गंवाई। बीतें 10 सालों से आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन NIA जांच के बाद भी नतीजा सिफर है। नक्सल हमले के पीछे की असल वजह का खुलासा नहीं हो सका है।
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Naxalite attack in Jhiram Ghati दरअसल, 25 मई 2013 को झीरम घाटी में 10 साल पहले एक बड़े एंबुश के जरिए नक्सलियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की चुन-चुन कर हत्या की थी। राजनीतिक संहार का ये पहला मामला था। उस वक्त भी IBC24 ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सबसे पहले ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर कई घायलों की मदद की। इस हमले से तमाम सियासी दल समेत पूरा देश सन्न था। सवाल भी उठा कि इस राजनीतिक हत्याकांड के पीछे कौन है? पहले जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की गई फिर जांच NIA को सौंप दी गई। NIA की जांच रिपोर्ट आने के बाद फिर बवाल हुआ। कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप का लंबा दौर चला। जो आज भी जारी है। बीते 10 साल से इस हमले से जुड़े तमाम सवाल आज भी जिंदा हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी नेता लगातार कांग्रेस को घेरते रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस सरकार में आई तो अलग से न्यायिक जांच आयोग का गठन करने की घोषणा की। SIT का गठन भी किया, जो कि कानूनी अड़चनों में उलझ गई। राजनीतिक साजिश के नए बिंदु जांच में जोड़े गए। राज्य शासन ने सेवानिवृत्त जस्टिस सतीश अग्निहोत्री और जस्टिस जी मिनहाजुद्दीन के 2 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन इस मामले में किया है जिसकी सुनवाई भी शुरू की जा चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि पीड़ित परिवारों को अब तक इंसाफ नहीं मिल पाया, इसका दुख है।
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झीरम हमले के 10 साल बीत गए हैं, लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया, उन परिवारों को दर्द अब भी कम नहीं हुआ है, क्योंकि इंसाफ का एक कतरा भी उनके नसीब में नहीं आया है।