Publish Date - January 26, 2025 / 12:56 PM IST,
Updated On - January 26, 2025 / 12:58 PM IST
नारायणपुर: Will Get Padma Shri Pandi Ram Mandavi नक्सल प्रभावित इलाके के छोटे से गांव से निकलकर अपनी कला के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में बस्तर की पहचान बनाने वाले पंडीराम जी को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है। यह सम्मान न केवल उनकी कला के लिए है, बल्कि उनके धैर्य, संघर्ष, और बस्तर की संस्कृति को जीवित रखने के उनके प्रयासों को भी मान्यता देता है। 12 साल की उम्र में कला के सफर की शुरुआत करने वाले पंडीराम जी ने लकड़ी की नक्काशी और बांस की बांसुरी जैसी अद्भुत कलाओं को नई पहचान दी। बीते 5 दशकों से वह न केवल इन पारंपरिक कलाओं को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके काम ने बस्तर की कला को एक वैश्विक मंच दिया है।
Will Get Padma Shri Pandi Ram Mandavi पंडीराम मण्डावी की कला केवल शिल्प तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बस्तर के जंगलों, इसकी संस्कृति, और संघर्षों की आवाज भी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जीवन की कठिनाइयों के बीच पंडीराम जी ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और बस्तर की मिट्टी से जुड़े रहने का जो प्रण लिया, वह आज एक मिसाल बन गया है।आज, पंडीराम जी का यह सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के बीच अपनी पहचान बनाना चाहता है। उनके इस सम्मान के जरिए यह साबित होता है कि अगर जज्बा हो तो हर सपना साकार हो सकता है।
पंडीराम जी को भारत सरकार द्वारा कौन सा सम्मान दिया गया है?
पंडीराम जी को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है, जो उनकी कला और बस्तर की संस्कृति को जीवित रखने के लिए उनकी कड़ी मेहनत और योगदान को मान्यता देता है।
पंडीराम जी ने कला की शुरुआत कब की थी?
पंडीराम जी ने 12 साल की उम्र में कला की शुरुआत की थी। उन्होंने लकड़ी की नक्काशी और बांसुरी जैसी पारंपरिक कलाओं को न केवल सीखा, बल्कि उन्हें नई पहचान भी दी।
पंडीराम जी का योगदान बस्तर की कला में क्या है?
पंडीराम जी ने बस्तर की पारंपरिक कला को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। उनके काम ने न केवल बस्तर के शिल्प को संरक्षित किया, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित किया है।
पंडीराम जी के सम्मान के पीछे कौन सी विशेष बात है?
पंडीराम जी का यह सम्मान न केवल उनकी कला के लिए है, बल्कि उनके संघर्ष, धैर्य और बस्तर की संस्कृति को बचाने के लिए उनके प्रयासों की भी सराहना की गई है।
क्या पंडीराम जी का जीवन किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है?
जी हां, पंडीराम जी का जीवन एक प्रेरणा है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उनके संघर्ष और सफलता यह दिखाते हैं कि अगर जज्बा हो, तो हर सपना साकार हो सकता है।