रायपुर, 13 नवंबर (भाषा) केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि माय-भारत प्लेटफार्म युवाओं की आशा, आकांक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान का माध्यम है।
मांडविया ने छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में ‘माटी के वीर पदयात्रा’ समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
यह कार्यक्रम 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मद्देनजर जनजातीय गौरव दिवस के तहत आयोजित किया गया था।
मांडविया ने कहा, ”15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में 150 महाविद्यालयों के माय-भारत स्वयंसेवकों द्वारा यह पदयात्रा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम पूरी तरह से युवाओं द्वारा आयोजित किया गया है।”
उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से युवाओं को राष्ट्र निर्माण में जोड़ने के उद्देश्य से माय-भारत प्लेटफार्म की शुरुआत की गयी थी। अब तक इस प्लेटफार्म पर लगभग 1.50 करोड़ युवाओं द्वारा पंजीकरण कराया गया है।”
मांडविया ने कहा, ”माय-भारत सिंगल विंडो सिस्टम बनेगा, जहां युवा अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस प्लेटफार्म के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।”
उन्होंने कहा, ”युवाओं को जिस भी क्षेत्र में रुचि हो उसमें सर्वश्रेष्ठ करना है, चाहे वह खेल हो या कला-संस्कृति। युवाओं को देश के लिए जीना है, देश के निर्माण में भागीदार बनना है। विकसित भारत के सपने को साकार करने में अपना सहयोग करना है।”
केंद्रीय मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान युवाओं के योगदान को याद करते हुए कहा कि युवाओं ने अपने जीवन की चिंता किए बिना जरूरतमंदों को भोजन, दवा, मास्क पहुंचाया और टीकाकरण में अविस्मरणीय योगदान दिया है। सेवा करना ही हमारा संस्कार है। राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य का निर्वहन करना है।
मांडविया ने कार्यक्रम के दौरान जशपुर में खेल सुविधाओं के विस्तार के लिए एक सर्व सुविधा युक्त स्टेडियम निर्माण की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जब भारत में 2036 ओलंपिक खेलों का आयोजन होगा और उसमें छत्तीसगढ़ का कोई खिलाड़ी खेलेगा तो हम गर्व का अनुभव करेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि जनजातीय संस्कृति का गौरव गान ही सनातन संस्कृति का गौरव गान है। जनजातीय संस्कृति, सनातन संस्कृति का मूल उद्गम है। जब-जब संस्कृति पर हमला हुआ है जनजातियों ने प्रतिकार किया है। यह सदैव शांति और सद्भाव की संस्कृति रही है।
उन्होंने कहा कि आजादी के संघर्ष में जनजातियों का योगदान अतुलनीय है। भगवान बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुंडाधुर जनजातीय संघर्ष के प्रतीक हैं।
साय ने कहा कि एक समय था, जब जनजातीय समाज, विकसित समाज था लेकिन गुलामी के कालखंड में यह पिछड़ गया, अत्याचार और शोषण का शिकार हो गया। अब यह समाज, पुन: अपने गौरव की प्राप्ति की ओर अग्रसर है।
समारोह के बाद बाला छापर गांव से ‘माटी के वीर’ पदयात्रा निकाली गई। पदयात्रा आठ किलोमीटर की दूरी तय कर यहां रणजीता स्टेडियम में समापन हुई।
मांडविया, साय और राज्य के मंत्रियों ने पैदल मार्च में हिस्सा लिया जिसमें माय युवा भारत के लगभग 10 हजार स्वयंसेवक शामिल हुए।
भाषा
संजीव, रवि कांत रवि कांत