Publish Date - January 11, 2025 / 09:41 AM IST,
Updated On - January 11, 2025 / 11:23 AM IST
मुंगेलीः Mungeli Kusum Plant Incident Update छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के रामबोड़ गांव में स्थित कुसुम प्लांट में हुए हादसे के बाद चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है। 40 घंटे तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद घटनास्थल से तीन शव बरामद किए गए हैं। हादसे में एक मजदूर की पहले ही मौत हो चुकी थी। इस हादसे में अब मृतकों की संख्या 4 हो गई है।
Mungeli Kusum Plant Incident Update मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार दोपहर को रामबोड़ गांव स्थित कुसुम प्लांट में अचानक एक साइलो गिर गया। जिस दौरान ये हादसा हुआ, उस समय कई मजदूर उसके नीचे काम कर रहे थे। साइलो गिरने से मजदूर उसके नीचे दब गए। इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। साइलो का वजन और उसमें मौजूद राख का वजन कई टन होने के कारण उसे हटाने में काफी समय लगा। कई बड़ी क्रेन मंगाई गई। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। 40 घंटे की रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद यहां से तीन और शव बरामद किए गए हैं।
मलबे से निकाले गए तीन मृतकों की पहचान अवधेश कश्यप, तागा जांजगीर चांपा निवासी, प्रकाश यादव अकोली बलौदाबाजार, जयंत साहू निवासी जबड़ापारा सरकंडा बिलासपुर के रूप में हुई है। वहीं मनोज धृतलहरे की पहले ही मौत हो गई थी। फिलहाल, अभी निकाले गए शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। वहीं प्लांट के दोषी अधकारियों पर FIR की गई है।
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसा गुरुवार, 9 जनवरी 2025 को रामबोड़ गांव में हुआ, जब एक साइलो अचानक गिर गया और कई मजदूर इसके नीचे दब गए।
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसे में अब तक कितने लोग मारे गए हैं?
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसे में अब तक 4 मजदूरों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक की पहले ही मौत हो गई थी, और तीन शव रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाले गए हैं।
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसे के बाद क्या कार्रवाई की गई है?
हादसे के बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। साथ ही, प्लांट के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में कितने घंटे लगे थे?
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 40 घंटे तक चला, जिसके बाद मलबे से तीन शव बरामद किए गए।
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसा किस कारण हुआ था?
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसा एक साइलो के गिरने के कारण हुआ था, जिसमें कई मजदूर दब गए थे। साइलो का वजन और उसमें मौजूद राख का वजन बहुत अधिक था, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में समय लगा।