latest cg news 2021
रायपुर : कोरोना महामारी के डर से करीब डेढ़ सालों तक बंद रहने के बाद छत्तीसगढ़ के स्कूल आज से फिर से खुल रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि सरकार की तरफ से पूरी तैयारी की गई है। लेकिन स्कूल शिक्षा को लेकर एक खुलासा बेहद चौंकाने वाला है. राज्य में आज भी 4300 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहां बिजली का कनेक्शन नहीं है, यहां बच्चे बिना पंखे, बिना लाइट के पढ़ते हैं। ऐसे बिना बिजली वाले स्कूल आदिवासी या सुदूर अंचल में ही नहीं बल्कि रायगढ़-कोरबा जैसे शहरों में भी हैं।
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latest cg news 2021 : ये मामला रायगढ़ जिला मुख्यालय स्थित सरकारी स्कूल की हैं। स्कूल की दीवारों पर शानदार चित्रकारी और करीने से तराशे गए कैंपस को देखकर ऐसा लगता है, जैसे कोई मॉडल स्कूल हो। लेकिन सरप्लस बिजली वाले प्रदेश के स्कूल में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। करीब एक दशक से यहां क्लास लग रही है। लेकिन भीषण गर्मी में शिक्षक और छात्र बिना बिजली और पंखा के पढ़ते-पढ़ाते हैं। इन स्कूलों में दो-दो शिफ्ट में क्लास लगती हैं. टीचर बताते हैं कि दूसरी शिफ्ट में सारी खिड़की-दरवाजे खोल दें तब भी अंधेरा ही रहता है। छोटे छोटे बच्चों के लिए उसी अंधेरे में आंख गड़ाकर पढ़ने की मजबूरी है।
कोरबा जिले को छत्तीसगढ़ का पावर हब कहा जाता है, लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर करतला ब्लॉक के इस मिडिल स्कूल तक बिजली नहीं पहुंच पाई। गांव में बिजली है, लेकिन स्कूल में नहीं है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश के 4300 से ज्यादा स्कूल आज भी बिजली विहीन हैं। सबसे ज्यादा 557 बिजली विहीन स्कूल बलरामपुर में हैं। दूसरा स्थान सूरजपुर जिले का है जहां 444 स्कूलों में बिजली नहीं है। इसके अलावा, जशपुर में 375, सरगुजा में 326 स्कूल, कोरबा जिले में 304, कोरिया में 271, बस्तर में 240 , नारायणपुर में 233, बीजापुर में 209, कांकेर में 190, सुकमा में 177, रायगढ़ में 152, दंतेवाड़ा में 141, गरियाबंद में 118, कोंडागांव में 111, कवर्धा में 105 और बलौदाबाजार में 104 स्कूलों में अंधेरा कायम है।
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प्रदेश के स्कूल शिक्षा सचिव भी मानते हैं कि कुछ स्कूल बिजली विहीन हैं, जहां बिजली पहुंचाने की कोशिश जारी है। अधिकारी तो बिजली पहुंचाने की बात कर रहे हैं। लेकिन स्कूल शिक्षा मंत्री प्राइमरी स्कूल में बिजली की जरूरत पर ही सवाल उठा रहे हैं। वहां दिन में पढ़ाई होती है, इसलिए बिजली की जरूरत क्या है।
मंत्री जी का ये बयान बताने के लिए काफी है कि छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की हालत इतनी खराब क्यों हैं। हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से जारी पीजीआई रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ को अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के साथ सबसे नीचे के पायदान पर जगह दी गई है। वहीं 2013 की असर की रिपोर्ट में इसे सबसे आखिरी पायदान पर रखा गया था।