कोयले की कमी के चलते बंद होने के कगार पर प्रदेश के कई उद्योग, कौन है कोयला संकट का जिम्मेदार?

कोयले की कमी के चलते बंद होने के कगार पर प्रदेश के कई उद्योग! Many Plants Shut Down due to Coal Crisis in Chhattisgarh

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  • Publish Date - April 1, 2022 / 11:35 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:45 PM IST

रायपुर: Coal Crisis in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में स्टील सेक्टर का अहम योगदान है, लेकिन पिछले 6 महीने से कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे उद्योग अब दम तोड़ने लगे है। कई उद्योग या तो बंद होने के कगार पर पहुंच गए है या फिर कई उद्योगों ने लोहे के दाम बढ़ा दिए है। लोहे की कीमत बढ़ने से निर्माण कार्य की लागत बढ़ बढ़ने लगी है।

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Coal Crisis in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में कोयला संकट के चलते लोहे के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसका असर उद्योग क्षेत्र से लेकर आम जनता, सब पर पड़ रहा है, जिससे कई उद्योगों का निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। उद्यमियों का कहना है कि स्थानीय संसाधनों पर पहला हक स्थानीय उद्योगों का है। राज्य सरकार, भारत सरकार और SECL के एग्रीमेंट के मुताबिक तय कोयला उन्हें मिलना ही चाहिए। लेकिन SECLऔर कोल माफिया के मिलीभगत के कारण इसके विपरीत काम किया जा रहा है। इस स्थिती में प्रदेश के स्टील सेक्टर के उद्योगों के पास इंपोर्ट कोल लेने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। लेकिन इंपोर्ट कोल की कीमत आज 20 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गई है, जो की SECL से मिलने वाले कोयले के दर के मुकाबले काफी अधिक है।

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लागत नहीं निकलने के चलते कुछ प्लांट बंद हो चुके है और कुछ बंद होने की कगार पर है। वहीं कुछ उद्योगपति प्लांट चलाने के लिए इंपोर्ट कोल मंगवा रहे है, लेकिन इसका नुकसान आम जनता को हो रहा है। निर्माण कार्य में लगने वाले लोहे के एंगल और छड़ के दाम आसमान छूने लगे है। लोहे के दाम लगभग 80 हजार रुपए प्रति टन से अधिक हो गए हैं। डीजल के दाम बढ़ने के कारण सीमेंट, रेत, गिट्टी के ट्रांसपोर्टर्स ने भी भाड़ा बढ़ा दिया है, जिसके कारण निर्माण कार्य में लगने वाले लगभग सभी समान महंगे हो गए है।

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उद्योग औऱ निर्माण कार्य बंद होने पर राजनीति भी शुरु हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो इधर पूर्व CM रमन सिंह भी बंद हो रहे उद्योग धंधों के लिए कोल इंडिया को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था में उद्योगों का बड़ा योगदान होता है। अगर जल्द इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढा गया, तो प्रदेश के सामने रोजगार से लेकर निर्माण कार्य की बढ़ती लगात जैसी कई चुनौतियां विकराल रूप ले लेंगी।

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