Mahasamund News: थमने का नाम नहीं ले रहा महानदी जल विवाद, दोनों राज्यों के दावों का परीक्षण करने पहुंची NGT की टीम

थमने का नाम नही ले रहा महानदी जल विवाद.. NGT team reached to test claims of both states in Mahanadi dispute

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  • Publish Date - April 22, 2023 / 02:45 PM IST,
    Updated On - April 22, 2023 / 02:46 PM IST

महासमुंद। महानदी के जल बंटवारे को लेकर 40 साल से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच विवाद की स्थिति निर्मित है। दोनों राज्यों के दावों का परीक्षण करने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम आज सुबह रायपुर- महासमुंद के निसदा बांध पहुंचीं। यहां निरीक्षण उपरांत समोदा बैराज के लिए रवाना हो गयी।  बता दें कि महानदी जल विवाद अधिकरण के आदेशानुसार, छत्तीसगढ़ स्थित महानदी बेसिन क्षेत्र में 2 चरणों में महानदी में जल की उपलब्धता और उपयोगिता का निरीक्षण होगा । 18 अप्रैल से प्रथम चरण प्रारंभ हुआ जो 22 अप्रैल तक चलेगा वहीं द्वितीय चरण 29 अप्रैल से 3 मई तक चलेगा।

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महानदी का पानी 53 प्रतिशत छत्तीसगढ़ और 46.5 प्रतिशत ओडिशा के पास है। इस पानी का अधिकतर उपयोग खेती के लिए किया जाता है। इसलिए इसे छत्तीसगढ़ की जीवनदायनी कहा जाता है। महानदी जल विवाद 1983 में शुरू हुआ। ओडिशा सरकार 19 नवम्बर 2016 को कोर्ट पहुंचा था, और 2017 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। ओडिशा और छत्तीसगढ़ दोनों के बीच विवाद न सुलझने पर केन्द्र सरकार ने 12 मार्च 2018 में ट्रिब्यूनल टीम भेजी। तीन सदस्यीय टीम आज सुबह निसदा बांध पहुंची, जहां रायपुर कलेक्टर, एसडीएम, जल संसाधन और ओडीशा के विभागिय अधिकारी मौजूद थे। टीम ने दोनों राज्यों के अधिकारियों का पक्ष सुना ।

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रायपुर जल संसाधन के अधिकारी ने टीम को बताया कि निसदा व समोदा बैराज से आसपास करीब 200 गांवों का जल स्तर बढ़ता है, जिससे यहां गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत नहीं होती, इसके अलावा आरंग और महासमुंद के वासियों को महानदी जलावर्धन योजना से पानी की सप्लाई की जाती है। इसके साथ ही महानदी से लगे औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी के 60 से अधिक फैक्ट्रियों को भी यहां से पानी की सप्लाई होती है। महानदी से प्रतिदिन इन उद्योगों को 5 लाख लीटर पानी दिया जाता है। टीम ने निसदा बांध का निरीक्षण किया और वे समोदा बैराज के लिए रवाना हो गये। IBC24 से धनंजय त्रिपाठी की रिपोर्ट

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