रिपोर्ट- अभिषेक सोनी, मैनपाट: Encroached Government Land मुस्कुराइए आप मैनपाट में हैं। इस स्लोगन के जरिये शासन- प्रशासन छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बढ़ते पर्यटन के साथ ही मैनपाट में भूमाफियाओं का दखल भी तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी जमीन और वन भूमि पर कब्जे के मामले बढ़े हैं, जिससे आने वाले दिनों में मैनपाट की सुंदरता को बट्टा लग सकता है।
Encroached Government Land कल- कल करते झरने, सुंदर वन मन को मोह लेने वाले पर्यटन स्थल ये खूबसूरती ही है जो मैनपाट को एक रोचक पर्यटन स्थल बनाती है और लगातार शासन प्रशासन इस ओर काम भी कर रहा है। लेकिन बढ़ता अतिक्रमण मैनपाट की सुंदरता को धीरे धीरे खत्म कर रहा है। बढ़ते पर्यटन की सम्भावनाओं के साथ ही भू माफियाओं की नज़र इस इलाके पर पड़ गई है। यही कारण है कि मैनपाट में अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। आलम यह है कि स्थानीय लोगों के साथ ही बाहरी लोगों का अतिक्रमण यहां पर तेजी से बढ़ रहा है, फिर चाहे वह राजस्व की भूमि हो, नजूल की भूमि हो या फिर वन भूमि। सभी इलाकों में लगातार अतिक्रमण होने से न सिर्फ यहां पर कैंप में रहने वाले तिब्बती परेशान हैं। बल्कि स्थानीय लोगों को भी यह डर सताने लगा है कि इसी तरीके से कब्जा होता रहा, तो फिर यहां सरकारी भवनों के निर्माण के लिए भूमि ही नहीं बचेगी। लोगों ने शिकायत भी की है लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
वन भूमि पर काबिज लोगों को वन अधिकार पट्टा देने के नाम पर भी यहां जमकर गड़बड़ी हुई है, जिसका प्रमाण कोर्ट में चल रहे प्रकरण हैं। कलेक्टर खुद यह मान रहे हैं कि मैनपाट में लगातार अवैध अतिक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। कई वन अधिकार के प्रकरणों में वन अधिकार पत्र के निरस्तीकरण की कार्रवाई भी की गई है। यही नहीं मैनपाट में पर्यटन की संभावनाओं को सुरक्षित रखने के लिए अतिक्रमण पर विशेष निगरानी भी की जा रही है। मैनपाट में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। ऐसे में जरूरत है कि इसके इलाकों को सुरक्षित करने की, जिससे आने वाले दिनों में इस इलाके में बेहतर तरीके से पर्यटन का विकास हो। उम्मीद है बढ़ते अतिक्रमण पर शासन प्रशासन और सख्त कदम उठाएगा और अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने में कामयाब होगा।
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