Publish Date - January 22, 2025 / 02:22 PM IST,
Updated On - January 22, 2025 / 02:26 PM IST
कोरबा : Parliamentary Committee In CG कोयला, खान एवं इस्पात संबंधी संसदीय स्थायी समिति आज छत्तीसगढ़ दौरे पर है। जहां समिति विश्व की दूसरी सबसे बड़ी खदान गेवरा पहुंचे। इस दौरान संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों ने खनन की गतिविधियों के बारे अध्यन किया। दौरे के पहले दिन आज समिति के सम्मानीय सदस्यों ने कन्वेनर / कार्यवाहक अध्यक्ष विजय हाँसदा के नेतृत्व में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एसईसीएल की गेवरा खदान का दौरा किया। दौरे के दौरान सदस्यों ने व्यू पॉइंट से खदान के संचालन को देखा।
Parliamentary Committee In CG गेवरा टीम द्वारा एक फ़िल्म व पीपीटी के माध्यम से समिति के सदस्यों खनन कार्यों, सुरक्षा उपायों, ईको-फ्रेंडली एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों आदि के बारे में बताया गया। खदान दौरे के पश्चात समिति ने कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया एवं एसईसीएल के प्रतिनिधियों के साथ कोयला खदानों में सुरक्षा विषय पर अनौपचारिक चर्चा में भाग लिया। दौरे के दौरान एसईसीएल एवं कोल इंडिया के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे।
कोयला, खान एवं इस्पात संबंधी संसदीय स्थायी समिति का छत्तीसगढ़ दौरा क्यों था?
यह संसदीय स्थायी समिति छत्तीसगढ़ दौरे पर थी, जहां उन्होंने विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गेवरा खदान का दौरा किया। दौरे का उद्देश्य खनन कार्यों, सुरक्षा उपायों, पर्यावरण संरक्षण और ईको-फ्रेंडली प्रयासों का अध्ययन करना था।
गेवरा खदान में संसदीय समिति के सदस्यों ने क्या देखा?
संसदीय समिति के सदस्यों ने गेवरा खदान के संचालन को व्यू पॉइंट से देखा और खनन कार्यों, सुरक्षा उपायों, और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में एक फ़िल्म और पीपीटी के माध्यम से जानकारी प्राप्त की।
संसदीय समिति ने किस विषय पर चर्चा की?
दौरे के बाद संसदीय समिति ने कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया और एसईसीएल के अधिकारियों के साथ खदानों में सुरक्षा से संबंधित विषय पर अनौपचारिक चर्चा की।
गेवरा खदान दौरे के दौरान कौन-कौन से अधिकारी मौजूद थे?
दौरे के दौरान एसईसीएल और कोल इंडिया के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने संसदीय समिति को खनन कार्यों और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी।
गेवरा खदान कौन सी खदान है और क्यों प्रसिद्ध है?
गेवरा खदान कोयला उद्योग की एक प्रमुख खदान है और यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान मानी जाती है। यह खदान छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित है।