More than 13 thousand children are victims of malnutrition in the district: कवर्धा। छत्तीसगढ़ प्रदेश को मध्यप्रदेश से अलग हुए दो दशक से अधिक हो गया, लेकिन कुपोषण से अभी भी मुक्ति नहीं मिली। विशेषकर आदिवासी अंचल में अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा। कुपोषण को जड़ से खत्म करने राज्य सरकार कई महत्वपूर्ण शासकीय योजनाएं भी चला रहें है, मगर कवर्धा के वनांचल क्षेत्र में कुपोषण का दर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हालात ये है कि शासकीय आंकड़ो के मुताबिक जिले में 13 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार है, फिर इस क्षेत्र में पोषण आहार का वितरण कागजों में ही पूरी हो रही है।
दरअसल, कबीरधाम जिले के बोड़ला, पंडरिया और लोहारा ब्लॉक वनांचल से घिरा हुआ है। यहां अधिकांश तौर पर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले विशेष पिछड़ी बैगा आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में इस वक्त 13 हजार से अधिक बच्चे कुपोषिण का दंश झेल रहे हैं। दिसंबर 2022 में किये गए सर्वे के मुताबिक, जिले में शून्य से 6 वर्ष के 88 हजार बच्चों का सर्वे किया गया जिसमें 13 हजार कुपोषित बच्चें चिन्हांकित किये और इन्हें मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत गरम भोजन, अंडा, दूध, केला, चना और लड्डू जैसे पौष्टिक आहार वितरण करने का लक्ष्य बनाया गया था, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक सीमित दिखाई दे रहा है।
भाजपा ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि रेडी टू ईट के माध्यम से समूह की महिलाओं द्वारा पोषण आहार का वितरण अच्छे से किया जा रहा था, मगर निजी संस्थान के हाथ में जाने से कुपोषित बच्चों तक पौष्टिक आहार नहीं पहुंच रहा है। जिले के पूटपूटा,सेंदुरखार, भांकुर, बाहपानी, कांदावानी, दलदली, लरबक्की, बोदा जैसे कई सुदूर क्षेत्र का गांव में पोषण आहार का वितरण पिछले दो माह से पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है। महिला एवं बाल विकास विभाग भले ही कुपोषण को लेकर योजना के तहत धरातल पर कार्य करने की दावा कर रहे हों, लेकिन धरातल पर यह दावा पूरी तरह से कोरी नजर आ रही है। ऐसे में कुपोषण की जंग जीत पाना असंभव नजर आ रही है। – IBC24 से सूर्यप्रकाश चन्द्रवंशी की रिपोर्ट
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