रायपुरः जीरम घाटी हमला प्रदेश के इतिहास की वो घटना है जिससे कांग्रेस पार्टी को इतिहास की सबसे बड़ी क्षति हुई। विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले हुई घटना ने कांग्रेस को हिला कर रख दिया। सबसे बड़ा सवाल रहा है कि हमला क्या सिर्फ नक्सली अटैक था या किसी बड़े षड़यंत्र का हिस्सा। पिछले दिनों इसकी जांच कर रहे आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद उसकी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई। जिस पर बहस के बीच राज्य सरकार ने आयोग में नई नियुक्ति करते हुए जांच के लिए कुछ नए बिंदु इसमें जोड़ दिए हैं। ये तो तय है कि प्रदेश की सियासत में बड़ा मोड़ लाने वाले इस जीरम कांड़ से जुड़ी हर बात को सियासी चश्मे से देखा जाता है। पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पिछले 8 सालों से अनुत्तरित सवालों का जवाब मिल पाएगा?
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जीरम घाटी में हुए नक्सली हमले को लेकर जारी सियासी लड़ाई फिलहाल खत्म नहीं होने वाली है। एक ओर जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौपी तो दूसरी ओर राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल पूर्ण होने और जांच पूरी न होने का हवाला देकर आयोग में एक अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति कर दी। जीरम घाटी में हुए नक्सली हमले की जांच के लिए भूपेश सरकार ने जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाया है जबकि पूर्व जस्टिश जी मिन्हाजुद्दीन आयोग के सदस्य होंगे.. ये आयोग 6 महीने के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। पूर्व में जारी जांच के बिंदुओँ के अतिरिक्त ये आयोग तीन नए बिंदुओं की जांच करेगा। .
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न्यायिक आयोग में नए सदस्यों की नियुक्ति पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद हमने विधि विभाग से अभिमत मांगे थे इस पर क्या किया जा सकता है ? मुख्यमंत्री ने ये भी कहा की राजभवन को आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई है। ये हमें मीडिया के माध्यम से मालूम हुई। इस मामले पर राजभवन की ओर से सरकार को कोई जानकारी नहीं दी गई है।
जाहिर है कांग्रेस की ओर से जीरम हमले की जांच के लिये नए आयोग की मांग उठी थी। जिस पर सीएम भूपेश बघेल ने एक दिन पहले ही कहा था कि आयोग का कार्यकाल पूरा हो चुका है। रिपोर्ट अभी आधी अधूरी है। ऐसे में सरकार जल्द कोई फैसला ले सकती है। जीरम कांड की नए सिरे से आयोग की जांच पर राज्य सरकार के फैसले पर बीजेपी ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अपने मन की चाहती है..अगर मन की हो तो स्वीकार करेगी और अगर मन की न हो तो अस्वीकार है।
जीरम कांड छत्तीसगढ़ की सियासत का सबसे अहम मोड़ है। जाहिर है इससे जुड़ी सारी चीजों में अपने आप राजनीति शुरू हो जाती है और इससे जुड़े हर एक चीज को सियासी चश्मे से ही देखा जाता है। ऐसे में सवाल ये है कि पहले सौंपी गई आयोग की रिपोर्ट में क्या है और इसका क्या होगा… साथ ही ये भी कि क्या कभी ये रिपोर्ट सार्वजनिक होगी?