Reported By: priyal jindal
,Farmers harvesting valuable Chironji seeds: जशपुर। जशपुर जिले के जंगलों में किसान इन दिनों बेशकीमती चिरौंजी (चार) के बीज की तुड़ाई कर रहे हैं। बेशकीमती चिरौंजी बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं। ये महज डेढ़ महीने तक ही चिरोंची पेड़ में रहता है। मई के अंतिम महीने तक पेड़ में फल लगा रहता है। इसके बाद इसका फल झड़ कर खत्म हो जाता है। इन डेढ़ महीनों में किसान पेड़ पर लगी चिरौंजी तोड़कर अपनी आमदनी का प्रमुख जरिया बना चुके हैं। अंदरुनी व पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार के लिए आय का बेहतर साधन बन गया है। इससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है।
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दरअसल, जशपुर के जंगलों में बेशकीमती चिरौंजी बाजार में 300 से शुरु होकर 400 रुपए किलो तक बिक रहा है। दाम ज्यादा मिलने से जंगल में चिरौंजी तोड़ने ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जशपुर जिले में किसान लोकल व्यापारियों को बेच देते हैं। जो बिलासपुर, कटघोरा, रायपुर में जाता है। यहां बीज को तोड़ने के बाद चिरौंजी दाना निकालने के बाद बड़े व्यापारी दूसरे शहरों में महंगे दामों में बेच देते हैं।
इसके पौधे तैयार होने में करीब 5 साल लग जाते हैं। इस साल जनवरी महीने में बेमौसम बारिश व ओलावृिट के कारण इनके फूल झड़ गए। इससे उत्पादन में कमी आई है। एक पेड़ में 10 किलो तक बीज निकलता है। स्थानीय निवासी रामप्रकाश पांडेय ने बताया कि 25 किलो का पैकट बनाकर बेचते हैं। इसकी सबसे ज्यादा कानपुर, बैंगलोर, नागपुर में डिमांड रहता है। पिछले साल व्यवसायी ने 15सौ -25सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक्री किए थे। 25 किलो का पैकट बनाकर बेचते हैं।
रायगढ़, बिलासपुर, अंबिकापुर के व्यापारी किसानों के गांव चिरौंजी खरीदने पहुंचते हैं। 300-400 रुपए किलो में खरीदकर उसे 2500 रुपए तक बेचते हैं। गांव के किसान चिंरौंजी बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करते हैं । चिरौंजी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है साथ ही इसके पाउण्डर से मिठाई बिस्कुट सहित अन्य चीज बनाई जाती हैं।
बता दें कि, जशपुर जिले के चिरौंजी के बीज का दूसरे राज्यों व शहरों में सबसे ज्यादा डिमांड है। इनके बीज उड़ीसा, कानपुर, बैंगलोर, कलकत्ता, नागपुर, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में अधिक जाता है। इन शहरों में चिरौंजी के बीज 35सौ से 4 हजार रुपए तक बिकता है। इसे मशीन में अच्छी तरह से सफाई कर उत्पाद तैयार किया जाता है। बीज महंगा होने के कारण न केवल जशपुर बल्कि बस्तर से भी इनके बीज का उत्पादन किया जाता है।
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लघु वनाेपज जशपुर जिला उपसंचालक एम जी लहरे ने बताया कि विभाग के द्वारा हमें 2000 का टारगेट दिया गया है और इसमें हमने टारगेट पूरा करने के लिए प्रचार प्रसार दीवार लेखन प्रबंधकों के माध्यम से किया है । इसमें तीन प्रकार का ग्रेड बनाया गया है ।जल्द ही किसानों से इसकी खरीदी की जाएगी, उन्होंने किसानों से बिचौलियों नहीं बल्कि शासन को बेचने के अपील की है।