रायपुर: नवरात्रि चल रहा है, चारों तरफ दुर्गा पंडालों में रौनक है। जगह-जगह राम लीलाएं हो रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की राजनीति में खुद को बड़ा रामभक्त बताने की होड़ मची है। सत्तारूढ़ कांग्रेस का दावा है कि राम उनके भगवान हैं। श्रीराम उनकी संस्कृति में रचे बसे हैं, जबकि कुछ लोगों के लिये ये महज वोट हैं। तो दूसरी तरफ बीजेपी कह रही है कि राम के अस्तित्व को नकारने वाले आज रामधुन में थिरक रहे हैं। कुल मिलाकर सियासत ने एक बार फिर राम को बांट दिया है। अब सवाल ये है कि मेरे राम..तेरे राम..आखिर किसके हैं राम ?
उत्तर से लेकर दक्षिण तक…इन दिनों छत्तीसगढ़ कांग्रेस राममयी नजर आ रही है। सरकार से लेकर संगठन तक नेता श्रीराम को अपना भगवान बता रहे हैं। खुद को बड़ा रामभक्त और हिंदुवादी बताने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम जहां बस्तर की शांति और समृद्धि के लिए हाथ में जय श्री राम का झंडा लिए पदयात्रा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर के जीर्णाद्धार और सौंदर्यीकरण के लोकार्पण समारोह में कई विधायकों के साथ शामिल हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामधुन में रमे नजर आए। इस दौरान सीएम ने कहा राम हमारे संस्कृति में रचे बसे हैं। राम हमारे लिए भगवान हैं, जबकि कुछ लोगों के लिए राम केवल वोट हैं।
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सत्ता में आने के बाद भी भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने अपने एंटी हिंदुवादी छवि से बाहर निकलने के लिए लगातार काम कर रही है। इसकी बानगी तब दिखी, जब दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर भूपेश सरकार ने चंदखुरी में उत्सव मनाया। इसके अलावा चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर का जीर्णोद्धार हो या फिर राम वनगमन पथ को विकसित करने का फैसला लेकर भी कांग्रेस सरकार ने अपनी भक्ति दिखाई। कुल मिलाकर जिस राम पर बीजेपी का एकाधिकार रहा अब वो कांग्रेस की रामभक्ति देख बेचैन है।
लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टैग करते हुए लिखा कि कालनेमि कौन है देश जानता है। राम के अस्तित्व को नकारने वाले और राममंदिर में अड़ंगा लगाने वाले आज राम धुन में थिरक रहे है। यही रामभक्तों की सबसे बड़ी जीत है। वहीं, पूर्व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस राम के नाम पर केवल राजनीति कर रही है। कांग्रेसियों के मुंह में राम और बगल में छुरी है, उन्होंने कौशल्या माता मंदिर में हो रहे कार्यक्रमों के खर्च पर भी सवाल उठाए है। बीजेपी के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 15 साल तक बीजेपी की रमन सरकार को कभी माता कौशल्या मंदिर की याद भी नहीं आयी।
कुल मिलाकर राजनीति में राम की कीमत कांग्रेस और बीजेपी को अच्छे से मालूम है। इसलिए दोनों पार्टियां राम के सहारे अपना वैतरणी पार करना चाहती है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बहाने केंद्र में जरूर बीजेपी अपनी वाहवाही लूट रही है। जबकि छत्तीसगढ़ में बीजेपी राम के मुद्दे पर कांग्रेस से थोड़ी पीछे जरूर रह गई है, लिहाजा उसकी बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक है। ऐसे में बीजेपी को दूसरी रणनीति बनाने की जरुरत है। वजह साफ है कांग्रेस सरकार राम वन गमन परिपथ की ओर लगातार बढ़ रही है।