कितने मुखबिर…कितनी हत्याएं…ग्रामीणों की हत्या के पीछे क्या है नक्सलियों की मंशा?

कितने मुखबिर...कितनी हत्याएं...! How many informers... how many murders... what is the intention of the Naxalites behind the killing of the villagers?

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  • Publish Date - August 3, 2021 / 11:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

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रायपुर: नक्सल फ्रंट पर इन दिनों कई मोर्चों पर एक साथ हलचल नजर आ रही है। एक ओर ऑपरेशन मानसून चला कर सुरक्षाबल अंदरूनी इलाकों में लाल लड़ाकों को लगातार चुनौती दे रहे हैं। दूसरी ओर इससे बौखलाए नक्सली अब बस्तर के साथ-साथ गरियाबंद-धमतरी की सीमा से लगे इलाके में जमकर उत्पात मचा रहे हैं। मुखबिरी के आरोप में लोगों की हत्या कर रहे हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ-साफ कह दिया है कि सिलगेर घटना की जांच छह माह के भीतर पूरी हो जाएगी। अब सवाल ये है कि मुखबिरी के नाम पर ग्रामीणों की हत्या के पीछे क्या है नक्सलियों की मंशा? कितनी खतरनाक है लाल सेना की नई रणनीति?

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हाल के दिनों में नक्सलियों ने लड़ाई का मोर्चा बदल दिया है, उनका टारगेट और उनके दुश्मन भी बदल गए हैं। ऐसा लगता है जैसे इस वक्त उनका एक सूत्रीय अभियान है, निर्दोष और निहत्थे ग्रामीणों की बेरहमी के साथ हत्या। बीते 13 महीने में सिर्फ धमतरी और गरियाबंद की सीमा में 7 ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की। इन सबको पुलिस का मुखबिर बताकर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया। बस्तर में भी इस तरह से हत्याओं का सिलसिला जारी है। दरअसल बस्तर में नक्सलियों पर जैसे-जैसे शिकंजा कस रहा है। जैसे-जैसे वो अपनी जमीन खो रहे हैं, उनकी बौखलाहट बढ़ने लगी है और लाल सेना अपने लिए नए ठिकाने तलाशने में जुट गई है। नक्सलियों की इस नई रणनीति पर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत भी जारी है।

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कांकेर से नगरी सिहावा होते हुए धमतरी और ओडिशा तक नक्सलियों का एक बड़ा कॉरिडोर लंबे समय से मौजूद रहा है। अब नक्सली दोबारा इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत की कोशिश कर रहे हैं, इसके साथ ही वो अपनी रणनीति में ग्रामीणों को भी शामिल कर रहे हैं। बीते 3 सप्ताह के दौरान बस्तर के कई जिलों में नक्सलियों के बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए हैं, जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आए हैं। मतलब साफ है कि आगामी दिनों में नक्सली ग्रामीणों के जरिए सिलगेर जैसी कई आंदोलन और विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। दूसरी ओर सिलगेर में चल रहा आंदोलन थमन का नाम नहीं ले रहा, लेकिन बस्तर क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आश्वासन दिया कि जांच को 6 महीनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

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सीएम बघेल ने कहा कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। जाहिर है बीजापुर और सुकमा की सीमा पर सिलगेर गांव में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का नया कैम्प बन रहा है, जिसका स्थानीय आदिवासी विरोध कर रहे हैं। 13 मई को घेराव और प्रदर्शन के बीच पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें 3 आदिवासियों की मौत हो गई और करीब 18 लोग घायल हुए थे।

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