Publish Date - January 22, 2025 / 02:55 PM IST,
Updated On - January 22, 2025 / 03:09 PM IST
पेंड्रा : Tigress in the Temple मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ की सीमा पर मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज क्षेत्र में बाघिन की लगातार मौजूदगी अब ग्रामीणों में चिंता का विषय बन गयी है। वहीं बाघिन की मौजूदगी के बावजूद मरवाही वनमंडल के अधिकारियों का लापरवाही सामने आ रहा है। जिसके चलते लोग अधिकारीयों की लापरवाही के चलते नतमस्तक नजर आ रहे है। बाघिन जो कि ज्वालेश्वर मंदिर के आसपास ही लगातार मौजूद है। पिछले चार दिनों में बाघिन ने 2 गाय और कुत्तों का शिकार कर चुकी है।
Tigress in the Temple ज्वालेश्वर मंदिर के आसपास आबादी वाले स्थान पर बाघिन लगातार विचरण कर रही है। मंदिर के पास दुकानों के सामने भी घूम रही है। बाघिन की मूवमेंट पर जहां मध्यप्रदेश के अमरकंटक रेंज की फॉरेस्ट टीम मुस्तैदी से नजर रखकर ग्रामीणों को अलर्ट कर रही है। वहीं छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल के अधिकारी बाघिन प्रभावित क्षेत्र में जा तक नहीं रहे हैं। केवल दो बीटगार्ड को भेजकर बाघिन जैसे संरक्षित जानवर की सुरक्षा की खानापूर्ति कर रहे है। वहीं गांव में बाघिन के लगातार मूवमेंट के चलते ज्वालेश्वर मंदिर के पास के दो कच्चे मकान में रहने वाले ग्रामीणों को छत्तीसगढ़ टूरिज्म विश्राम गृह में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीम इनको किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं करा रही है।
Tigress in the Temple ये बाघिन पेंच टाईगर रिजर्व से पिछले दिसंबर महीने में छत्तीसगढ़ की सीमा में पहुंची है। बाघिन चार दिनों से इसी क्षेत्र में देखा गया है। जिसे की टाईगर कॉरीडोर भी पहले से ही घोषित किया गया था। हालांकि तीन दशक बाद यहां टाईग्रेस को देखा गया है। वहीं मरवाही वनमंडल के अधिकारियों के लापरवाह रवैये से लोगों में भी नाराजगी देखी जा रही है। सोशल मीडिया में बाघिन के कई वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं। अब आसपास के लोग इस लापरवाही से नतमस्तक नजर आ रहे है।
ज्वालेश्वर मंदिर के पास बाघिन की मौजूदगी से क्या खतरा है?
बाघिन की मौजूदगी से स्थानीय ग्रामीणों में चिंता का माहौल है, क्योंकि बाघिन ने पिछले कुछ दिनों में गाय और कुत्तों का शिकार किया है। इसके अलावा, बाघिन मंदिर के पास दुकानों और आबादी वाले क्षेत्र में भी विचरण कर रही है।
बाघिन की सुरक्षा के लिए वन विभाग क्या कदम उठा रहा है?
मध्यप्रदेश के अमरकंटक रेंज की फॉरेस्ट टीम बाघिन की मूवमेंट पर नजर रख रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल के अधिकारियों ने केवल दो बीटगार्ड को भेजकर खानापूरी की है। इस क्षेत्र में अधिकारियों का लापरवाह रवैया देखने को मिल रहा है।
ग्रामीणों को सुरक्षित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं?
बाघिन के लगातार मूवमेंट को देखते हुए, ज्वालेश्वर मंदिर के पास रहने वाले दो कच्चे मकानों में रहने वाले ग्रामीणों को छत्तीसगढ़ टूरिज्म विश्राम गृह में शिफ्ट किया गया है। हालांकि, वन विभाग और प्रशासन ने इन लोगों को कोई विशेष सुविधा नहीं दी है।
बाघिन का इस क्षेत्र में आना कब हुआ और इसकी कहानी क्या है?
यह बाघिन पेंच टाइगर रिजर्व से दिसंबर महीने में छत्तीसगढ़ की सीमा में पहुंची थी और अब लगातार चार दिनों से मरवाही वनमंडल क्षेत्र में विचरण कर रही है। यह क्षेत्र टाइगर कॉरीडोर के रूप में पहले से ही घोषित किया गया था।
बाघिन के वीडियो सोशल मीडिया पर क्यों वायरल हो रहे हैं?
बाघिन की मूवमेंट और उसके शिकार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिससे लोगों में इस घटना को लेकर डर और नाराजगी उत्पन्न हो रही है।