पेंड्रा: उत्तर काशी के टनल हादसे के बाद छत्तीसगढ़ के टनल से गुजरने वाली ट्रेनों के लिए रेलवे के द्वारा अलर्ट तो जारी किया गया है। रायपुर से कटनी जाने वाले रेल रूट पर भनवारटंक और खोडरी रेलवे स्टेशनों के बीच में अप और डाउन लाइन में 2 बोगदे बनाए गए हैं जिसमे से एक को अंग्रेजों के द्वारा साल 1907 में बनाया गया जबकि दूसरे को साल 1966 में भारतीय रेलवे ने तत्कालीन तकनीक का प्रयोग करते हुए बनाया था।
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दुर्गम रास्तों पर करीब 6 किलोमीटर चलते हुए IBC24 के टीम ने इन दोनो ही टनल का जायजा लिया। जिनमे पाया कि 116 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत के समय में बनाए गए टनल के स्लीपर्स टनल के प्रारंभ में ही जर्जर दिखाई दे रहे हैं। जबकि बताया ये जा रहा है कि अंदर टनल की समय समय पर रिपेयरिंग होती है वहीं यह टनल घुमावदार होने के बावजूद इसके बनने से लेकर अब तक टनल के भीतर कोई हादसा नही होने पाया है। पुराना होने के कारण यह सामान्य दिनों में भी तीन को 20 किलोमीटर की गति से गुजारा जाता है।
दूसरा टनल जिसका निर्माण आजाद भारत में इस रूट पर यातायात को बढ़ाने के लिए खोडरी से खोंगसरा रेलवे स्टेशनों के बीच रेल लाइन दोहरीकरण के दौरान साल 1966 में बनाया गया और पहाड़ों के बीच से टनल को एकदम सीधे बनाते हुए काम कराया गया जिसे करीब 3 साल में पूरा कर लिया गया। तकनीक का प्रयोग करते हुए भारतीय रेलवे ने इसको पुराने टनल की तुलना में एकदम सीधा बनाया गया. हालाँकि पुराने टनल की तुलना में इसकी लंबाई 133 मीटर ज्यादा यानी कुल 444 मीटर है। रेलवे ने इस टनल के सीधा होने और नए होने के कारण कोई खास अलर्ट जारी नहीं किया है और यहां सुरक्षाकर्मी भी तैनात नजर नहीं आया।
Sharad Agrawal IBC24
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