रायपुर, 22 नवंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 6,600 करोड़ रुपये के गेन बिटकॉइन पोंजी घोटाला मामले की जांच के सिलसिले में लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को ऑडिट कंपनी के कर्मचारी गौरव मेहता से करीब चार घंटे तक पूछताछ की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एजेंसी उच्चतम न्यायालय के आदेश पर मामले की जांच कर रही है और अक्टूबर में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जबकि विभिन्न राज्यों में कई अन्य मामलों को भी एजेंसी ने अपने हाथ में लिया है।
कंपनी वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड, दिवंगत अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के रूप में 10 प्रतिशत मासिक रिटर्न का झूठा वादा करके अपनी ‘मल्टी-लेवल-मार्केटिंग योजना’ के माध्यम से लोगों से लगभग 6,600 करोड़ रुपये मूल्य के बिटकॉइन एकत्र करने के आरोप में कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।
बिटकॉइन (एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी) किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं है।
कथित आर्थिक धोखाधड़ी, महाराष्ट्र चुनावों की पूर्व संध्या पर एक राजनीतिक मुद्दा बन गई, जब भाजपा ने मंगलवार को मेहता के साथ बारामती की सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले के कथित ‘वॉयस नोट’ सुनाए तथा आरोप लगाया कि चुनावों को प्रभावित करने के लिए बिटकॉइन को भुनाने का प्रयास किया जा रहा है।
मेहता को बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की कार्रवाई का सामना करना पड़ा, जब धन शोधन निरोधक एजेंसी ने रायपुर में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने बृहस्पतिवार को उनसे पूछताछ की। शुक्रवार को उनसे रायपुर स्थित एजेंसी के कार्यालय में फिर से पूछताछ की गई, जहां वे दोपहर में पहुंचे।
वर्ष 2018 के क्रिप्टोकरेंसी “धोखाधड़ी” मामले में गिरफ्तार किए गए पूर्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल ने भी आरोप लगाया है कि मेहता ने उन्हें सिग्नल ऐप पर 10 वॉयस नोट भेजे थे, जिनमें सुले और पटोले के कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए संदेश थे।
सुले और पटोले ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया और वॉयस नोट को “फर्जी” करार दिया।
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