रायपुर: राजधानी से लगे मंदिर हसौद के एक गौठान में भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई है। इसके बाद दोनों पक्ष थाने पहुंचे और वहां भी हंगामा हुआ। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगया कि भाजपा कार्यकर्ता गौठान में पार्टी का झंडा लगा रहे थे। वहीं भाजपा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पिटाई करने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इस साल बीते 3 महीने के दौरान ऐसे 4 मौके आए हैं, जब सियासी दलों के कार्यकर्ता या तो प्रतिद्वंद्वी ये या फिर आपस में ही उलझे हों। सवाल है कि नेताओं-कार्यकर्ताओं का सब्र क्यों जवाब दे रहा है?
छत्तीसगढ़ में जुबानी हमलों के बाद सियासतदां दो-दो हाथ पर उतर आए। चुनावी मैदान अखाड़ा बन चुका है और प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे को पटखनी देने के लिए आमादा हैं। दरअसल, प्रदेश सरकार की योजनाओं की पड़ताल के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव मंदिर हसौद इलाके के गोढ़ी गांव के गौठान पहुंचे। लेकिन यहां भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई। जाहिर है इस पर आरोप-प्रत्यारोप तो होना ही था।
हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब नेताओं-कार्यकर्ताओं का सब्र टूटा हो। इससे पहले रायपुर में ही 24 मार्च को बीजेपी कार्यालय एकात्म परिसर और कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन के बाहर बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच कोई जमकर विवाद और पत्थरबाजी हुई थी। मामला सिर्फ इतना ही नहीं है… विरोधी दलों से भिड़त के अलावा पार्टी के कार्यकर्ता आपस में भी गुत्थम-गुत्था हो रहे हैं।
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इसी महीने 12 मई को बिलासपुर में CM की गाड़ी में बैठने लेकर कांग्रेसी आपस में भिड़ गए। पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष विजय केशरवानी के बीच जमकर विवाद हुआ। उससे ठीक छह दिन पहले अंबिकापुर में जब सीएम भूपेश बघेल एयरपोर्ट के निरीक्षण के लिए पहुंचे, तब भी टीएस सिंहदेव की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल किया था। अब सवाल ये कि ये सियासी जंग में हाथापाई की नौबत क्यों आ रही है? क्या कार्यकर्ताओं पर परफॉर्मेंस दिखाने का प्रेशर है या फिर शक्ति प्रदर्शन के जरिए वे अपनी प्रतिबद्धता जता रहे हैं? वजह जो भी हो लेकिन जनता सब देख रही है और चंद महीने बाद ही सियासी दलों को जनता के बीच इसका जवाब देना पड़ेगा।