CG Vidhan Sabha Winter Session 2024: बारदाना के वजन को लेकर सदन में तीखी बहस, मंत्री बोले- नहीं कराएंगे जांच, विपक्ष ने किया बहिर्गमन, इतने तक के लिए कार्यवाही स्थगित

बारदाना के वजन को लेकर सदन में तीखी बहस, मंत्री बोले- नहीं कराएंगे जांच, विपक्ष ने किया बहिर्गमन, Fierce debate in House over the weight of sack, minister said - will not get it investigated

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  • Publish Date - December 16, 2024 / 02:00 PM IST,
    Updated On - December 16, 2024 / 02:15 PM IST

रायपुरः CG Vidhan Sabha Winter Session 2024 छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। पहले दिन बैठक की शुरूआत में सदन में राजगीत अरपा पैरी के धार गाया गया। इसके बाद विधानसभा के पूर्व दिवंगत सदस्यों को श्रद्धाजंलि दी गई। उनके सम्मान में कुछ देर कार्यवाही स्थगित रहने के बाद फिर से कार्यवाही शुरू हुई है। प्रश्नकाल के दौरान सदन में कांग्रेस सरकार के समय सरकारी जमीनों पर कब्जे का और सड़कों के निर्माण के लिए वन विभाग से अनुमति का मुद्दा गूंजा।

इसके बाद शून्यकाल में कई संशोधन अध्यादेश, अंकेक्षण रिपोर्ट, वार्षिक प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखी गई। इस दौरान स्थगन प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने धान खरीदी की अव्यवस्था मुद्दा उठाया। भूपेश बघेल ने कहा कि टोकन सिस्टम में भारी अव्यवस्था है। ऑनलाइन-ऑफलाइन के चक्कर में छोटे-बड़े किसान पीस रहे हैं। बरदाना नहीं हैं। धान खरीदी हो पाएगी या नहीं? इस बात को लेकर किसान डर रहे हैं। इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने टोकाटाकी की। उन्होंने कहा कि राइस मिलर्स आपके समय का भुगतान मांग रहे हैं।आपने अपने समय का भुगतान क्यों नहीं किया? इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि धान खरीदी केंद्र में किसानों से पैसा मांगा जा रहा हैं। दो तरह की मशीन नमी मापने के लिए है। इसके बाद सदन में हंगामा हुआ। पक्ष और विपक्ष के विधायक ने नारेबाजी शुरू की।

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CG Vidhan Sabha Winter Session 2024 अजय चंद्राकर ने कहा कि भूपेश बघेल किस नियम के तहत भाषण दे रहे हैं। भूपेश ने कहा स्थगन प्रस्ताव की ग्राह्यता पर। अजय चंद्राकर बोले, अभी तो विषय ग्राह्य हुआ नही, फिर भाषण क्यों? हंगामें के बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने संक्षिप्त में अपनी बात रखने की अपील की। वहीं कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने धान खरीदी का मुद्दा उठाया और कहा कि 21 क्विंटल के हिसाब से टोकन नहीं मिल रहा है। प्रदेश भर के किसान परेशान है। सत्तापक्ष से धर्मजीत सिंह, अजय चंद्राकर ने फिर आपत्ति जताई और कहा कि शून्यकाल में धान पर चर्चा हो रही। फिर ग्रह्यता पर ही निर्णय ले लिया जाए। विधानसभा अध्यक्ष ने आगे ग्रह्याता पर चर्चा जारी रखने की व्यवस्था दी।

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विधानसभा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत ने अमानक बरदाना का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 554 ग्राम से कम वजन के बारदाने अमानक होते हैं। कम वजन के बारदाने खरीदी केंद्र में मिले हैं। इससे किसान के ज्यादा धान लिया जा रहा है। जूट बरदाना खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि निजी जुटमिल को लाभ पहुंचाया जा रहा। लोगों में रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि एक बोरा का वजन 580 ग्राम होना चाहिए, लेकिन अभी 480 ग्राम का बारदाना दिया जा रहा है। हर बोरे में 100 ग्राम एक्स्ट्रा किसानों का धान जा रहा है। उन्होंने विधायक दल की समिति बनाकर जांच कराने की मांग की।

महंत के आरोपों और सवालों का जवाब देते हुए मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि जिला स्तरीय अधिकारी भेजकर जांच कराया है, कोई कमी नहीं मिली है। महंत ने कहा कि 17 करोड़ बारदाना आता है। अधिकारियों का ग्रुप बना है, वह ठप्पा लगता है। विपणन केंद्र में जांच नही होता है। अमानक बोरी में खरीदी जारी है। जांच कराएंगे क्या? मंत्री बघेल ने कहा कि जांच की आवश्यकता नहीं है। महंत ने कहा कि पूरा भ्रष्टाचार है। आपके अधिकारी खराब करके बैठे हैं। मंत्री ने कहा कि कोई कमेटी बनने की आवश्यकता नहीं है। इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि अधिकारी गए तो वजन बराबर आ गया। इसलिए विधायक दल से जांच कराएंगे क्या? मंत्री दयालदास बघेल अपने बयान पर कायम रहे और जांच नही कराने की बात की। इसके बाद विपक्ष ने जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉक आउट कर दिया। हंगामे के बीच सदन की कार्रवाई दोपहर तीन बजे तक स्थगित कर दी गई।

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इस मुद्दे पर भाजपा विधायक ने अपनी ही सरकार को घेरा

इससे पहले प्रश्नकाल में भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने बिलासपुर में अवैध कब्जे का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय अफसरों से मिलीभगत कर 13 हजार से अधिक कब्जे हुए हैं। उन्होंने सरकार से इसकी जांच की मांग की। विधायक शुशांत ने कहा कि पिछले 5 साल में जो भूमि पुराण लिखा गया है, उसके चक्कर में कई परिवारों को गरुड़ पुराण सुनना पड़ गया। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने विधायक सुशांत के सवाल के जवाब में कहा कि 2021 से 25 नवंबर 2024 तक जिले में 563 शिकायत मिली है। 256 मामले में सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया। मंत्री के जवाबों से असंतुष्ट विधायक ने कहा कि उड़ता पंजाब की तरह उड़ता जमीन का मामला दिख रहा है। मंत्री का जवाब गलत है। पूर्व सरकार में सरकारी जमीन को बंदरबांट हुई, कितने अधिकारी पर करवाई हुई है। मंत्री ने कहा कि कलेक्टर की कमेटी बनाएंगे, जांच कराएंगे।

विधायक प्रबोध मिंज ने उठाया यह मुद्दा

वहीं कांग्रेस विधायक प्रबोध मिंज ने वन मंत्री केदार कश्यप से पूछा कि सरगुजा जिले में 2021-22 तक किन सड़कों के निर्माण के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई। मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि सरगुजा जिले में 25 मार्गों के निर्माण के लिए अनापत्ति मांगी गई है। किसी भी प्रकार के अनापत्ति जारी नहीं की गई है। इसके बाद प्रबोध मिंज ने कहा कि कई सड़क चौड़ी हो गई हैं, अगर किसी भी प्रकार की अनापत्ति जारी नहीं की गई है, तो यह सड़क कैसे चौड़ी हुई। इसकी जांच की जानी चाहिए। इस मांग के होते-होते प्रश्न कल के खत्म होने का समय हो गया था। डॉक्टर रमन सिंह ने प्रश्न काल समाप्त करने की घोषणा कर दी।

प्वाइंट्स के जरिए ऐसे समझे पूरी कार्यवाही को

1. छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन क्या मुद्दे उठाए गए?

पहले दिन विधानसभा में कई मुद्दे उठाए गए, जिसमें धान खरीदी की अव्यवस्था, सरकारी जमीन पर कब्जे, अमानक बारदाना और सड़क निर्माण के लिए वन विभाग से अनुमति सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

2. मंत्री दयालदास बघेल ने बारदाना के वजन पर उठाए गए आरोपों का क्या जवाब दिया?

मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा जांच की गई है और कोई कमी नहीं पाई गई है। हालांकि, विपक्ष ने मंत्री के जवाब से असंतोष जताया और जांच की मांग की, लेकिन मंत्री ने जांच कराने से इंकार किया।

3. छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष क्यों वॉकआउट किया?

विपक्ष ने बारदाना के वजन को लेकर मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआउट किया। उन्हें लगा कि मंत्री ने सही तरीके से जवाब नहीं दिया और जांच नहीं कराई जाएगी।

4. कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने धान खरीदी की अव्यवस्था पर क्या सवाल उठाए?

भूपेश बघेल ने धान खरीदी केंद्रों में टोकन सिस्टम की अव्यवस्था, किसानों से पैसे की मांग और बारदाना की कमी पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे और बड़े किसान दोनों परेशान हो रहे हैं।

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