Employees of Chhattisgarh will protest रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में चुनाव है, और चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों ने जंगी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। लाखों कर्मचारी संविदा और डेली वेज पर काम कर रहे हैं। उन्हें नियमितिकरण की आस है। हजारों, लाखों कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्हें सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता से लेकर समयमान वेतनमान जैसी मांगों के पूरा होने का इंतजार है, लिहाजा, जुलाई से चुनावी हड़ताल का आगाज हो रहा है।
चुनाव से पहले कर्मचारियों की पूरी आस विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होने वाले अनुपूरक बजट टिक गई है। लिहाजा, अलग अलग धड़ों ने जुलाई से अनिश्चतकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। संविदा कर्मचारियों का बड़ा धड़ा छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ है। 2018 में कांग्रेस ने उन्हें नियमित करने का वादा किया, और घोषणापत्र में शामिल किया था। साढ़े चार साल बाद भी मांग अधूरी रही तो संघ ने प्रदेशभर में रथयात्रा निकाल दी। 40 दिनों में 33 जिलों में 3 हजार किलोमीटर का सफर पूरा कर रायपुर में इसका समापन किया, और हुंकार रैली निकालते हुए सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दे दिया। मांग पूरी नहीं हुई तो 3 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया।
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वैसे ही, अनियमित कर्मचारियों का एक और धड़ा है, छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ, उसने तो मानसून सत्र के दौरान हर दिन विधानसभा घेराव का ऐलान किया है। 18 जुलाई से 21 जुलाई तक प्रदेशभर से हजारों संविदा कर्मचारी रायपुर में जुटेंगे, और हर दिन विधानसभा का घेराव करने निकलेंगे। इनकी भी मांगे वही है, कांग्रेस सरकार अपना वादा निभाए, घोषणापत्र के अऩुरूप संविदा और अनियमित कर्मचारियों को नियमित करे।
उधर, नियमित सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा फोरम एक हफ्ते पहले ही तैयार हुआ है, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ और छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी संघ ने मिलकर पांच सूत्री मांगों को लेकर 7 जुलाई को एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया है। एचआरए, समयमान वेतनमान, केंद्रीय कर्मचारी समान महंगाई भत्ते जैसे मांगों को लेकर ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन होगा, मांग पूरी नहीं हुई तो1 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जाने का ऐलान किया है, यानि, ब्लॉक ऑफिस से लेकर मंत्रायल और स्कूल से लेकर अस्पताल सब ठप रहेंगे।
हालांकि सत्तारूढ पार्टी के नेता का कहना है कि सरकार ने अधिकांश वादे निभाए हैं, कर्मचारियों की मांग भी पूरी होगी। इन कर्मचारी महासंघों के अलावा भी कई और संगठन हैं, जो चुनावी आंदोलन और धरना प्रदर्शन की राह पर है, जाहिर है, आने वाले चार से पांच महीनों तक प्रदेश में कर्मचारी आंदोलनों की गूंज रहने वाली है।