सत्ता के लिए कांग्रेस किसी हद तक जा सकती है, आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण : अरुण साव

सत्ता के लिए कांग्रेस किसी हद तक जा सकती है, आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण : अरुण साव

  •  
  • Publish Date - June 25, 2024 / 11:01 PM IST,
    Updated On - June 25, 2024 / 11:01 PM IST

रायपुर, 25 जून (भाषा) छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकती है और देश में लागू किया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को राज्य में ‘आपातकाल का काला दिवस’ मनाया।

देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी। इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया और विपक्षी नेताओं तथा असंतुष्टों को जेल में डाल दिया गया था। साथ ही प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी गई। 21 मार्च, 1977 को आपातकाल हटा लिया गया।

साव ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही और सत्तालोलुपता का प्रदर्शन करते हुए 25 जून, 1975 को देश पर आपातकाल थोपकर न केवल लोकतंत्र की हत्या की, अपितु भारतीय संविधान का खुलेआम मजाक भी उड़ाया था।

साव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय लोकतंत्र के उसी काले अध्याय से रूबरू कराते हुए ‘आपातकाल का काला दिवस’ मनाकर संविधान और लोकतंत्र के नाम पर देश में पाखंडपूर्ण राजनीति कर रही कांग्रेस के इस राजनीतिक चरित्र से आम जनता को परिचित कराने का बीड़ा उठाया है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सन 1975 में देश पर आपातकाल थोपकर तत्कालीन इंदिरा सरकार ने जिस प्रकार से लाखों निरपराध लोगों को जेल में डाला, न्यायपालिका और मीडिया के अधिकारों को नियंत्रित करने का काम किया, अपने विरोधियों को जेल में डालकर उन्हें प्रताड़ित करने का काम किया, आज 50 साल बाद यह देश उस काला दिवस को न तो भूल पाया है और न कभी भूल पाएगा।

साव ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने का काम करती रही है और आज भी कांग्रेस अपने इसी राजनीतिक चरित्र के साथ राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को न तो देश के संविधान पर भरोसा है और न ही देश की संवैधानिक संस्थाओं पर।

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि सत्ता हासिल करने और उस पर काबिज रहने के लिए, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांग्रेस ने हमेशा संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर उसे तोड़ने का काम किया है।

भाषा

संजीव, रवि कांत रवि कांत