रायपुरः ED Raid on Kawasi Lakhma House छत्तीसगढ़ में एक बार प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने दबिश दी है। इस बार ईडी के अधिकारियों ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा मारा है। रायपुर के धरमपुरा इलाके में स्थित कवासी लखमा के ठिकानों पर जांच चल रही है। इसके अलावा कवासी के करीबी के चौबे कॉलोनी स्थित मकान में अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। वहीं सुकमा में उनके बेटे हरीश कवासी के शासकीय आवास पर अधिकारी पहुंचे हैं। इसके अलावा सुकमा में ही नगरपालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर भी अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं। सुकमा में दोनों कांग्रेस नेताओं के घर 5 गाड़ियों में 10 से ज्यादा ईडी के अधिकारी पहुंचे हैं। आशंका जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटालों को लेकर यह कार्रवाई की जा रही है।
ED Raid on Kawasi Lakhma House बता दें कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में कई नेता और अफसर अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दे रहे थे। रिपोर्ट्स ये पूरा सिंडिकेट सरकार के इशारों पर ही चलता रहा। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी इसकी जानकारी थी और कथित तौर पर कमीशन का बड़ा हिस्सा आबकारी मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था।
बता दें कि इस मामले को लेकर 2161 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में ACB ने 70 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। FIR में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम भी FIR में शामिल है, जिन्हें हर महीने 50 लाख दिया जाता था।
ईडी ने कवासी लखमा के घर छापेमारी इसलिए की क्योंकि उन पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप है। जांच में यह पाया गया कि उन्होंने इस घोटाले से जुड़े कमीशन का बड़ा हिस्सा प्राप्त किया था।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये से अधिक के अवैध शराब कारोबार का आरोप है। इसमें कई नेता और अफसर मिलकर एक अवैध सिंडिकेट चला रहे थे।
इस मामले में एसीबी ने कुल 70 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें कवासी लखमा का नाम भी शामिल है। इन पर आरोप है कि उन्होंने अवैध शराब कारोबार से प्राप्त कमीशन में हिस्सा लिया था।
कवासी लखमा पर आरोप है कि वे शराब घोटाले के दौरान अवैध सिंडिकेट का हिस्सा थे और उन्हें हर महीने भारी रकम के रूप में कमीशन प्राप्त होता था।