Reported By: Komal Dhanesar
, Modified Date: October 9, 2024 / 03:21 PM IST, Published Date : October 9, 2024/3:20 pm ISTKuthrel Ravan Ka Putla: भिलाई। जिस तरह थनोद की पहचान मूर्तिकारों कि गांव के रूप में है, ठीक इस तरह दुर्ग जिले का एक गांव रावण के पुतले बनाने के लिए भी फेमस है। जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर कुथरेल गांव, जहां बच्चा-बच्चा रावण का पुतला बनाना जानता है। भिलाई दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ के कई शहरों में दशहरे पर होने वाले रावण दहन के लिए पुतले कुथरेल के डॉक्टर जितेंद्र साहू ही तैयार करते हैं।
डॉ जितेंद्र साहू बताते हैं कि, उनके दादा ने यह काम शुरू किया था फिर उनके पिता ने इसे आगे बढ़ाया और अब वह इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इस बार वे 30 से ज्यादा समितियों के लिए रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि, गांव में जगह कम होने की वजह से रावण के चेहरे बनाने का काम घर में करते हैं और शरीर का पूरा स्ट्रक्चर भिलाई के दशहरा मैदान में तैयार करते हैं।
बता दें कि, कुथरेल में रावण के पुतले बनाने की शुरुआत बिसोहाराम साहू ने की थी। तब उनके ही परिवार के लोमन सिंह साहू ने यह काम सीखा और आज इस परंपरा को स्व लोमन सिंह के बेटे डॉ जितेन्द्र साहू आगे बढ़ा रहे हैं। डॉ जितेन्द्र बताते हैं कि गांव में सिर्फ रावण का पुतला बनाकर ही लाखों का ज्यादा का रेवेन्यु पहुंचता है। डॉ साहू बताते हैं कि कुथरेल में रावण का पुतला बनाने वाले 50 से ज्यादा कलाकार है। वहीं, अब गांव में बच्चों की एक पूरी फौज तैयार हो चुकी है। जो 8 से 10 फीट तक के रावण के पुतले आसानी से बना लेते हैं।
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