भिलाई। देश में पहली बार मानव निर्मित जंगल की विशाल धरोहर दुर्ग जिले में बनने जा रही है। भिलाई इस्पात संयंत्र की खाली पड़ी नंदिनी माइंस में लोगों ने बीएसपी के सहयोग से मिलकर हजारों पौधे लगाकर इसे जंगल में तब्दील कर दिया है। अब दुर्ग का वन विभाग इसे नया रूप देने जा रहा है। देश का यह पहला और एशिया का दूसरा जंगल है, जो प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि व्यक्तियों ने मिलकर तैयार किया है। आने वाले तीन सालों में नंदिनी माइंस का यह एरिया हरेभरे पेड़ों से ढंक जाएगा। साथ ही यहां यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे, फलों के बगीचे के संग जंगल सफारी और फारेस्ट एडवेंचर का मजा ले सकेंगे।
इको टूरिजम के रूप में डेवलप कर रहा वन विभाग
वन विभाग ने इस प्रोजेक्ट को इको टूरिजम के रूप में डेवलप कर रहा है। इस प्रोजक्ट के आने के बाद लोगों को उम्मीद है कि नंदिनी क्षेत्र को फिर नई पहचान मिलेगी औऱ रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। वन विभाग की प्लानिंग है कि इस मानव निर्मित जंगल को फारेस्ट वंडरलैंड में बदला जाए। इसके लिए पिछले दो साल से यहां हजारों पौधे लगाने का काम चल रहा है। हाल ही में कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा ने इस क्षेत्र को डीएफएम मद से डेवलेप करने स्वीकृति भी दी है। दो साल पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नंदिनी में इस प्रोजक्ट की शुरुआत की थी। डीएफओ शशि कुमार ने बताया कि इन माइंस एरिया में तीन अलग-अलग प्रोजक्ट बनाए जाएंगे। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होंगे। यहां लोग घने जंगल के बीच माइंनिंग एरिया में बोटिंग, वाटर एडवेंचर का मजा ले सकेंगे। वहीं जंगल के बीच रेस्ट हाउस, कैंप साइट, हॉट बलून की राइडिंग का भी लुफ्त उठा सकेंगे।
मानव निर्मित जंगल में 17 किलोमीटर की फैंसिंग
2500 एकड़ में फैले इस मानव निर्मित जंगल में 17 किलोमीटर की फैंसिंग की गई है, जहां औषधिय और फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही इस बारिश में यहां,सीड बॉल थ्रो करेगे, ताकि यह जंगल एक प्राकृतिक जंगल का रूप से सकें। इस प्रोजक्ट में केवल पौधे लगाने के लिए तीन करोड़ 30 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे इसके बाद फारेस्ट वंडरलैंड के लिए भी अलग से डीएफएम मद से भी राशि स्वृीकत की गई है। यह जंगल केवल लोगों के मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए भी ब्रीडिंग ग्राउंड का काम करेगा। एक्सपर्ट की मानें तो यहां पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बन सकेगा। और इसे पक्षियों के पार्क के रूप में भी विकसित किया जाएगा। यहां पहले ही बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क आदि देखे गए हैं। यहां झील के तैयार होने के बाद उम्मीद है कि यह पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में भी तैयार हो सकेगा।
3 साल में पूरी तरह जंगल में विकसित हो नंदिनी माइंस
17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे पेड़ पहले से मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 83 हजार पौधे लगाये गए हैं। 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गए हैं।
लोगों को मिलेंगे रोजगार के अवसर
नंदिनी माइंस के धीरे-धीरे काम खत्म होने औऱ् बीएसपी में नियमित कर्मचारियों की संख्या घटने के बाद नंदिनी माइंस के टाउनशिप की रौनक खत्म सी हो गई और इसका असर बाजार पर भी पड़ा। लेकिन दो साल बाद वन विभाग के इस प्रोजक्ट ने लोगों के बीच फिर एक उम्मीद जगा दी है। लोगों का कहना है कि इको टूरिज्म का यह प्रोजक्ट सफल होता है तो यहां भी लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और बाजार में भी रौनक लौटेगी। छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों में जहां माइनिंग के बाद खाली पड़ी जमीन को जंगल के रूप में विकसित करने नंदिनी माइंस का मानव निर्मित जंगल देश-दुनिया से लिए सबसे बड़ा उदाहण बनने जा रहा है। अब लोगों को इंतजार है कि कब यह प्रोजक्ट पूरा हो और कब वे सुकून के कुछ पल प्रकृति के बीच बिताए। IBC24 से कोमल धनेसर की रिपोर्ट