CM Sai On Mahakumbh 2025/ Image Credit: CG DPR
रायपुर: CM Sai On Mahakumbh 2025: “आप सभी को एक बात कहना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 का आयोजन हो रहा है। मैं चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु वहां जाएं। आप को वहां जाकर रूकने और खाने की चिंता नहीं करनी है। आपके लिए हमारी सरकार ने प्रयागराज के सेक्टर 6 में साढ़े चार एकड़ में छत्तीसगढ़ पैवेलियन बनाया है। वहां पर आपके रूकने और खाने की निःशुल्क व्यवस्था की है।“
यह कथन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महाकुम्भ 2025 शुरू होने के पहले अपने सार्वजनिक संबोधनों में कई जगह कही थी। मुख्यमंत्री साय राज्य की जनता की आवश्यकताओं और इच्छाओं को समझते हैं, इसीलिए मुख्यमंत्री साय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की और प्रयागराज स्थित कुंभ मेला क्षेत्र में साढ़े चार एकड़ में छत्तीसगढ़ पैवेलियन का निर्माण कराया और छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने खर्च पर 45 दिनों तक राज्य के श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की निःशुल्क व्यवस्था की।
CM Sai On Mahakumbh 2025: इन 45 दिनों में छत्तीसगढ़ के लगभग 50 हजार श्रद्धालुओं ने चिंतामुक्त होकर महाकुम्भ 2025 के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। 45 दिनों तक चलने वाला आस्था और परंपरा का विश्व का सबसे बड़ा त्यौहार अब समाप्त हो चुका है, लेकिन जाते हुए भी ये छत्तीसगढ़ की जनता को अविस्मरणीय यादें दे गया है जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल हैं।
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ऐसा नहीं है कि प्रयागराज के मेला क्षेत्र के सेक्टर 6 में स्थित छत्तीसगढ़ पैवेलियन सिर्फ छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए ही था, बल्कि ये देश विदेश के सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र था। छत्तीसगढ़ पैवेलियन में लगी प्रदर्शनी को देखने के लिए देश विदेश के पर्यटक और श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता था। एक तरफ जहां अन्य राज्यों के पैवेलियन रात 8 बजे के बाद बंद हो जाया करते थे, छत्तीसगढ़ पैवेलियन का सांस्कृतिक कार्यक्रम रात 10 बजे तक लोगों का मनोरंजन करता रहता था। छत्तीसगढ़ के स्थानीय कलाकारों ने प्रयागराज में महाकुम्भ की धरती पर ऐसा समां बांधा था कि भाषा और संस्कृति के आवरण से दूर देश के हर राज्य के लोग इसे देखने और सुनने को आतुर दिखते थे।
CM Sai On Mahakumbh 2025: छत्तीसगढ़ पैवेलियन का प्रवेश द्वार बस्तर की पहचान गौर मुकुट से सुशोभित था। ये दूर से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता था। भीतर प्रवेश करते ही छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा छत्तीसगढ़ की ममतामयी पहचान को परिलक्षित करती थी। इसके साथ ही राज्य की चार ईष्ट देवियों ( मां महामाया, मां दंतेश्वरी, मां बम्लेश्वरी और मां चंद्रहासिनी) की तस्वीरों के आगे लोगों के सिर श्रद्धा से झुक जाते थे। प्रदर्शनी में राज्य सरकार की योजनाओं को जानने के लिए लोग आतुर दिखते थे। प्रदर्शनी में सिरपुर, कुतुबमीनार से ऊंचे जैतखाम, भारत का नियाग्रा कहे जाने वाले चित्रकोट वाटरफाल, आधुनिक शहर नया रायपुर के बारे मे जानकर लोग स्तब्ध रह जाते थे।
CM Sai On Mahakumbh 2025: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनी में टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया गया था। 360 डिग्री का वीडियो दिखाने वाले इमर्सिव डोम में भीतर जाने के लिए पूरे देश के लोग लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते थे और ऐसा ही कुछ हाल वर्चुअल रियेलिटी के जरिए छत्तीसगढ़ को जानने के लिए भी था। इतना ही नहीं प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति, कला, आभूषण, रहन-सहन, खान-पान, नृत्य, पशु एवं पक्षियों को भी दर्शाया गया था जो लंबे समय तक प्रादेशिक और राष्ट्रीय मीडिया के लिए आकर्षण का विषय बने हुए थे।
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अब महाकुम्भ का समापन हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे एकता का महाकुम्भ कहकर संबोधित किया है। छत्तीसगढ़ पैवेलियन अपने आप में इसका एक बड़ा उदाहरण है जहां बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति के लिए निःशुल्क भोजन उपलब्ध था। बिना किसी ऊंच नीच के हर वर्ग, हर जाति और हर धर्म और हर संप्रदाय यहां तक की विदेशी भी आते थे और छत्तीसगढ़ को पास से जानकर आश्चर्य और रोमांच से भर जाते थे।
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CM Sai On Mahakumbh 2025: महाकुम्भ के समापन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को महाकुम्भ के सफल आयोजन और छत्तीसगढ़ को साढ़े चार एकड़ जगह उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद दिया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी पहल और समर्पित प्रयासों के चलते छत्तीसगढ़ के लगभग 50 हजार श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ 2025 का हिस्सा बने। इन श्रद्धालुओं की भागीदारी ने राज्य की तीन करोड़ जनता को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इस महान आध्यात्मिक आयोजन से जोड़ा।
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छत्तीसगढ़ के संत, विद्वान और श्रद्धालु महाकुंभ के पवित्र संगम में स्नान और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में शामिल हुए, जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का भव्य प्रदर्शन हुआ। इसके माध्यम से राज्य ने अखिल भारतीय आध्यात्मिक चेतना में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस पहल ने छत्तीसगढ़ को महाकुंभ के वैश्विक मंच पर एक आध्यात्मिक शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया, जिससे राज्य की तीन करोड़ जनता को सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव की अनुभूति हुई। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र यात्रा बना, बल्कि राज्य की आध्यात्मिक धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक सशक्त माध्यम भी साबित हुआ है।