रायपुर: देशभर में इस बार मानसून सामान्य है। अगस्त महीने में अब तक सामान्य से 27 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून की बेरुखी से कई राज्यों में सूखे की दस्तक सुनाई दे रही है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है, जहां 12 जिलों में मानसून रूठ सा गया है। कम बारिश से किसानों को सूखे का डर सता रहा है। सूखे की संकट को देखते हुए सरकार अलर्ट मोड में है। हालात से निपटने लगातार समीक्षा बैठक भी हो रही है। अभी सबसे बड़ी चिंता ये है कि खरीफ की फसल को कैसे बचाया जाए? ऐसे में सवाल है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो किसानों की परेशानी दूर करने के लिए सरकार के पास कोई एक्शन प्लान तैयार है?
जी हां छत्तीसगढ के किसानों को डर सताने लगा है। फसल चौपट होने का डर, बरबाद होने का डर, इसकी वजह है बारिश का लंबा होता इंतजार। किसान अभी भी आसमान की तरफ टककटी लगाए देख रहे हैं। अगर एक दो दिन बदरा नहीं बरसे तो किसानों की फसल बरबाद हो जाएगी। जी हां बारिश के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में इस बार 13 फीसदी से कम बारिश हुई है। अल्पवर्षा के कारण 12 जिले सूखे की चपेट में है। मानसून की बेरूखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है और मौसम विभाग का अनुमान इनकी चिंता और बढ़ा रहा है।
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बारिश की बेरूखी से अब किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं और अब आखिरी उम्मीद टिकी है बांधों पर। ऐसे में राज्य सरकार भी अलर्ट मोड में नजर आ रही है। सुखे की हालात पर बुधवार को मंत्री रविंद्र चौबे ने जन संसाधन विभाग के साथ समीक्षा बैठक की। सभी जिलों में बारिश और बांधों में पानी की समीक्षा के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि कुछ जिलों में हालत निश्चित रुप से चिंताजनक है। लिहाजा उन्होंने कलेक्टरों को सूखे की स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। हालांकि विपक्ष आरोप लगा रही है कि सरकार जान-बूझकर बांधो से पानी छोड़ने में देर कर रही है। ताकी किसानों की फसल बर्बाद हो जाए और सरकार को अधिक धान नहीं खरीदना पड़े।
सूखे की हालात को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दावा और आपत्ति कर रहा है, तो दूसरी ओर प्रदेश में बारिश थम सी गई है और धूप इतनी तेज कि जमीन की रही-सही नमी भी तेजी से सूख रही है। किसान बांध के पानी से आस लगाए बैठे हैं. लेकिन बांधों की स्थिति भी अच्छी नहीं बताई जा रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में अगर प्रदेश में भारी बारिश नहीं हुई तो छत्तीसगढ़ को सूखे की तगड़ी मार झेलनी पड़ेगी।
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