Bhangaram Devi Darbar: छत्तीसगढ़ के इस जिले में लगती है अनोखी अदालत, जहां देवी-देवताओं की भी होती है पेशी! गलती पर मिलती है सजा

Bhangaram Devi Darbar: छत्तीसगढ़ के इस जिले में लगती है अनोखी अदालत, जहां देवी-देवताओं की भी होती है पेशी! गलती पर मिलती है सजा

  • Reported By: Devendra Mishra

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  • Publish Date - August 31, 2024 / 08:37 PM IST,
    Updated On - August 31, 2024 / 08:43 PM IST

Bhangaram Devi Darbar: धमतरी। आदिवासी समाज आज भी अपनी संस्कृति और परंपराओ को सहेजे हुए है। इनकी अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका आज भी ये समाज निर्वहन कर रहे हैं। एक ऐसी ही अनोखी परंपरा धमतरी जिले के बोराई क्षेत्र में निभाई जाती है, जहां एक ऐसी अदालत लगती है, जिसमें देवी-देवताओं को भी कटघरे में खड़ा होना पड़ता है। इस अदालत में इष्ट देवी-देवताओं के गलती की सजा न्यायाधीश भंगाराम माई के द्वारा सुनाया जाता है।

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इस अदालत में इष्ट देवी देवताओं के गलती की सजा न्यायाधीश भंगाराम माई के द्वारा सुनाया जाता। इस जात्रा में सिहावा राज सहित बस्तर और ओडिशा राज के सैकड़ों देवी-देवता आज के दिन शामिल होते हैं, जिसे देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। आज का दिन यहां मेला जैसे माहौल रहता है। धमतरी जिला के सिहावा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य ईलाका है, जहां कभी बस्तर राजघराने का सीमा हुआ करता था। लेकिन, वर्तमान में यह क्षेत्र बस्तर से अलग हो चुका है। इस इलाके के आदिवासी समुदाय,आज भी बस्तर राज परिवार की देव परंपरा को यहां के वाशिंदे निभाते आ रहे हैं। ऐसी ही परम्परा बोराई के जंगल में भंगाराम माई के देव दरबार में मनाई जाती है।

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जिस तरह से आरोपित लोगों के लिए न्यायालीन प्रक्रिया है। इसी तरह देवी देवताओं के लिए भी इस जगह पर साल में एक बार न्यायालय लगता है और इष्ट देवी देवताओं की गलती पर सजा न्यायाधीश भंगाराम सुनाते हैं। कई देवी-देवताओं को हिरासत में भी लिया जाता है। हम सब के लिए ये भले ही चैंकाने वाली बात हो, मगर धमतरी जिले के आदिवासी समाज की ये परंपरा पुरखों से चली आ रही है। भंगाराव देवी के प्रमुख गायता ने बताया कि, आदिवासी समाज की रुढ़िजन्य देवप्रथा परंपरा अनुसार कुलदेवी-देवताओं को भी अपने आप को साबित करना पड़ता है वो भी बाकायदा अदालत लगाकर। ये अनोखी अदालत ‘भंगाराम माई के दरबार’ में लगती है।

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बता दे कि भंगाराम माई का दरबार धमतरी जिले के कुर्सीघाट बोराई मार्ग में भादो के शुरुआती महीने में हर साल लगता हैं। बस्तर राजघराने से चली आ रहा सदियों पुराने, इस दरबार को देवी-देवताओं के न्यायालय के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भंगाराम की मान्यता के बिना देव सीमा में स्थापित कोई भी देवी-देवता कार्य नहीं कर सकते। हर साल भादों के महीने में आदिवासी देवी-देवताओं के न्यायधीश भंगा राव माई का जात्रा होता है। इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से बाजागाजा के साथ लिखमा घुटकेल से विधि विधान से कुल देवता की सेवा अर्जी के बाद देवी देवताओं का आगमन हुआ, जिसे देखने हजारों की संख्या में धमतरी, उड़ीसा और बस्तर के श्रद्धालु पहुंचे।

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