रायपुर: प्रदेश में मजबूती और दमदारी से काम कर रही कांग्रेस सरकार को लेकर इन दिनों प्रदेश में कई तरह की चर्चाएं गर्म हैं, जिसकी वजह है एक महीनें से कम वक्त में दो-दो बार कुछ कांग्रेसी विधायकों की दिल्ली दौड़। बीते दो दिनों में दो दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी विधायक दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं और वो वहां किस मकसद को लेकर गए हैं। इस सवाल पर वो विधायक खुद असहज दिखते हैं तो पार्टी के नेता अलग-अलग तर्क दे रहे हैं। जाहिर है विपक्ष को इस परिस्थिति में सत्तापक्ष को घेरने का एक मौका दिख रहा है। मौजूदा हालात पर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच विधायकों के दिल्ली दौरे पर तीखी बयानबाजी जारी है। भाजपा नेता कांग्रेस आलकमान को नसीहत देते दिख रहे हैं तो कांग्रेसी नेता भाजपा को मुद्दाविहीन बताते हुए अपनी पार्टी को संभालने की बात कह रहे हैं। बड़ा सवाल ये कि ये हालात ये अटकलें…ये कयास कब और कहां जाकर थमेंगे?
छत्तीसगढ़ में बीते 4 महीनों से प्रदेश की सियासत में कयासों और अटकलों की ऐसी ऐंट्री हुई, जिस पर अभी तक विराम नहीं लगा है, प्रदेश कांग्रेस विधायक आए दिन दिल्ली पहुंच रहे हैं। बीते महीने सत्तापक्ष के 50 से ज्यादा विधायक दिल्ली पहुंचे और पीसीसी प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात कर राज्य सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कामों के बारे में मजबूती से पक्ष रखा। कई घंटों की सरगर्मी के बाद जब विधायक वापस रायपुर लौटे तो लगा कि अब सबकुछ साध लिया गया है। सब कुछ तय हो चुका है, लेकिन बीते दो दिनों में छ्त्तीसगढ़ कांग्रेस के 25 से ज्यादा विधायक एक बार फिर दिल्ली में जमा हैं और कुछ और विधायक दिल्ली कूच कर रहे हैं।
अहम बात ये कि विधायक दिल्ली दौरे का कोई विशेष ठोस कारण बताने में असहज दिखे, तो वही विधायक बृहस्पत सिंह समेत कुछ विधायकों ने खुलकर कहा कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार प्रदेश में राहुल गांधी के विचारों के अनुरुप काम कर रही है। इसलिए वो राहुल गांधी से निवेदन करने आए हैं कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ दौरे पर थोड़ा ज्यादा वक्त लेकर आएं और स्वयं सरकार के कामकाज को देखें। वहीं दिल्ली पहुंचे मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ विनय जायसवाल ने कहा कि हमारा शक्ति प्रदर्शन या दबाव का इरादा नहीं है। हमें आलाकमान पर भरोसा है।
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इधर, कांग्रेस विधायकों के दिल्ली पहुंचने पर पार्टी के भीतर ही कई तरह की चर्चाएं जारी हैं, जिस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का कहना है कि विधायकों के दिल्ली जाने की मनाही नहीं है। यही बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव कह चुके हैं। मरकाम ने कहा कि सभी विधायकों के का बयान संगठन के संज्ञान में है, समय आने पर सब तय हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इस हलचल पर कहा कि पार्ट में कोई खींचतान नहीं बल्कि संभावना है।
इधर, विपक्ष ने इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस आलाकमान को फिर नसीहत दी है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में कुर्सी की दौड़ चल रही है, जिसे लेकर प्रदेश में अस्थिरता का माहौल है। कांग्रेस आलाकमान जो भी निर्णय़ है स्पष्ट करे ताकि सरकार काम में ध्यान दे सके। कुल मिलाकर बीते दो दिनों में दिल्ली गए दो दर्जन से ज्यादा विधायक शुक्रवार को भी वापस नहीं लौटे हैं, बल्कि कुछ और विधायक दिल्ली कूच करेंगे। फिलहाल जितने भी विधायक दिल्ली में मौजूद हैं उनकी कांग्रेस आलाकमान से अभी तक कोई मुलाकात नहीं हो पाई है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है क्या प्रदेश में कांग्रेस के भीतर की ये हलचल जल्दी किसी नए नतीजे पर पहुंच पाएगी?
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