कोरबा। dead body was not found पांच साल के पुत्र की मौत के बाद पिता को मेडिकल कालेज अस्पताल में शव वाहन की सुविधा नहीं मिल सकी। उसने बाइक में किसी तरह शव को रख बच्चे के अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया पूर्ण करने अस्पताल से रवाना हो गया। अभी वह कुछ दूर ही पहुंचा था कि कुछ लोगों ने शव वाहन की व्यवस्था कर व्यथित पिता को राहत पहुंचाई। खरमोरा के रुद्र नगर में रहने वाले राजेश चौरसिया का पुत्र हेमंत चौरसिया पांच साल कुछ दिन से अस्वस्थ चल रहा था।
dead body was not found रविवार की रात 11 बजे अचानक उसकी तबियत खराब हो गई। आनन फानन में उसे मेडिकल कालेज स्थित अस्पताल लेकर पहुंचा। रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई, अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया। चूंकि अस्पताल में बच्चे को मृत अवस्था में लाया गया था, इसलिए पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूर्ण किया जाना था, इसलिए रात को शव मर्च्यूरी में रखा दिया गया। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को पिता राजेश के सुपुर्द कर दिया गया।
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शव को घर तक पहुंचने की गुजारिश राजेश अस्पताल के कर्मचारियों से करता रहा, पर शव वाहन उपलब्ध नहीं होेने की बात पल्ला झाड़ लिए। उसकी आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि अपने स्तर पर वाहन की बुकिंग कर सके, लिहाजा उसने एक सहयोगी के साथ बाइक में पीछे बैठ कर बच्चे को शव गोद में रख लिया और घर जाने रवाना हो गया।
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अस्पताल परिसर में खड़े कुछ जागरूक लोगों को इसकी जानकारी लगी और उन्होंने अस्पताल परिसर में ही संचालित एक होटल के संचालक से शव वाहन उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उसने यह बात सहज स्वीकार कर लिया और रास्ते में रोक कर राजेश को शव वाहन उपलब्ध कराया गया। सहचार्य प्रयास से शव वाहन तो मिल गया, पर न जाने कितने ही जरूरतमंद स्वजन हैं, ओ अपने को खोने के बाद शव को घर तक ले जाने मशक्कत करते हैं।
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