गुरू घासीदास विश्वविद्यालय में ‘महिमा गुरु’ के नाम पर देश की पहली पीठ स्थापित, कुलपति बोले- प्रयास है गौरवशाली इतिहास को संजोने का

कुलपति बोले- प्रयास है गौरवशाली इतिहास को संजोने का! Country's first chair established in the name of 'Mahima Guru' at GGU

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  • Publish Date - May 9, 2022 / 08:22 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

बिलासपुर: ‘Mahima Guru’ at GGU गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में स्थापित महिमा गुरु पीठ भारतीय आध्यात्म के पुरातन चितंन के वैभवशाली एवं गौरवशाली अतीत संजोने के साथ उसे दोबारा स्थापित करने का प्रयास करेगी। यह वक्तव्य माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने दिनांक 09 मई, 2022 को सुबह 10 बजे से रजत जयंती सभागार में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त ‘‘महिमा गुरु पीठ” के शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही।

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‘महिमा गुरु पीठ‘

‘Mahima Guru’ at GGU शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी मदन मोहन दास, संत, महिमा संप्रदाय, दुरुगपाली महासमुंद (छ.ग.) रहे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. अवधेश प्रधान, पूर्व आचार्य हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी थे। मंचस्थ अतिथियों में विशिष्ट अतिथि रजनीश सिंह माननीय विधायक बेलतरा विधानसभा, प्रो. देवेन्द्र नाथ सिंह प्रभारी ‘‘महिमा गुरु पीठ” एवं विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग, प्रो. मनीष श्रीवास्तव विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी विकास अनुभाग तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार शामिल हुए।

कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्जवलन एवं मां सरस्वती व गुरु घासीदास बाबा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर हुआ। मंचस्थ अतिथियों का नन्हें पौधे से स्वागत किया गया। इस अवसर पर तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। स्वागत उद्बोधन डॉ. डी.एन. सिंह ने दिया। प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने महिमा गुरु पीठ की स्थापना के उद्देश्यों एवं शोध के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।

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सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध जागरुकता

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी मदन मोहन दास, संत, महिमा संप्रदाय, दुरुगपाली महासमुंद (छ.ग.) ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में महिमा गुरु पीठ की स्थापना पर शुभकामनाएं हेतु हुए कहा कि इसके माध्यम से विश्व शांति, अंहिसा एवं आध्यात्म की प्रेरणा देने वालो केन्द्र की रूप में यह पीठ स्थापित हो। महिमा गुरु ने तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध लोगों को जागरुक करते हुए साहित्य और आध्यात्म का संकल्प सिद्ध किया।

विशिष्ट अतिथि रजनीश सिंह माननीय विधायक बेलतरा विधानसभा ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में तीन विश्वविद्यालय हैं। भारत प्राचीनकाल से ऋषि-मुनियों का धरा है। हमें अपनी परंपरा और संस्कृति का संरक्षण करना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने महिमा गुरु पीठ की स्थापना के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री माननीय धर्मेन्द्र प्रधान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने के लिए हमारे आध्यात्म, परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों ने अहम भूमिका निभाई है, यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम इसका संरक्षण करें।

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कुलपति महोदय ने कहा कि तोड़ दो उस दीवार को जो ज्ञान की बाधा बने, हम चले उस राह पर जो लक्ष्य को साधा बने। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन के पश्चात यह पहला अवसर है जब “महिमा गुरु पीठ” के रूप में पहली आधिकारिक पीठ की स्थापना हो रही है। महिमा गुरु के नाम पर यह देश की एक मात्र पीठ है जिसकी स्थपना केन्द्रीय विश्वविद्यालय में की गई है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. अवधेश प्रधान, पूर्व आचार्य हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में महिमा गुरु पीठ की स्थापना से नये अध्याय का प्रारंभ हो रहा है। कुलपति प्रो. चक्रवाल के भागीरथी प्रयासों के परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्यंचना जितनी ज्यादा खींची जाती है तीर उतना ही अधिक दूरी तक जाता है। ऐसे ही लक्ष्यों को साधने के लिए हमें मजबूत होने चाहिए।

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उन्होंने कहा कि यह पीठ स्वाध्याय, आध्यात्म के साथ परंपरा और सासंकृतिक मूल्यों को संरक्षित करेगी। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में यहां दृष्टि बदली है और अकादमिक क्षेत्र के लिए नई खिड़की खुली है। महिमा गुरु ने तत्कालीन समाज के वंचितो, जनजातियों को जागरुक करने में अहम बूमिका निभाई। इस पीठ के माध्यम से उनके साहित्य, कविताओं और अन्य लेखों पर शोध किया जाएगा। मंचस्थ अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन एवं संचालन मुरली मनोहर सिंह सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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