रायपुर: Abuse to Panchayat Sachiv राजनीति में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब माननीय मर्यादा भूल कर बयानबाजी करना शुरू कर दे तो आप क्या कहेंगे? जी हां छत्तीसगढ़ में इन दिनों नेताओं की जुबान खूब फिसल रही है। कोई कई किसी नामर्द कह कर संबोधित कर रहा है तो कोई सरेआम किसी को गाली दे रहा है।
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Abuse to Panchayat Sachiv ये हैं चंद्रदेव राय, जो बिलाईगढ़ से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने हैं। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान इन्हें इतना गुस्सा आया कि इन्होंने ग्राम पंचायत सचिव को सरेआम गाली दे दी। अब सवाल ये है कि आखिर माननीय को ये हक किसने दिया? सियासत मे ऐसी भाषा कहां तक जायज है। लिस्ट मे केवल कांग्रेस के ही नहीं बल्कि बीजेपी नेता भी शामिल हैं।
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बृजमोहन अग्रवाल की गिनती प्रदेश के सबसे तेज तर्रार नेताओं में होती है, लेकिन 6 बार के विधायक और पूर्व मंत्री ने बीते दिनों जेल भरो आंदोलन के दौरान कांग्रेस को नामर्द कह दिया। बयान के बाद कांग्रेस बीजेपी पर जमकर भड़की। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब माननीयों ने इस तरह का अमर्यादित बयान दिया हो। कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह का अधिकारी को फोन पर गाली गलौज करने का वायरल ऑडियो हो या फिर मंत्री कवासी लखमा का बस्तर में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी पर काफी बवाल मचा था।
अब जब विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल बाकी है तो कांग्रेस और बीजेपी के नेता चुनावी तैयारियों को धार देने फिल्ड पर सक्रिय हैं। मगर कई नेताओं की जुबां काबू में नहीं है, खुद पर संयम नहीं रख पाए रहे। हालांकि इन नेताओं के अमर्यादित बयान पर दोनों दल आरोप-प्रत्यारोप लगाकर केवल पर्दा डालने का काम कर रहे हैं।
जगह अलग-अलग, नेता अलग-अलग पर वाकया एक से बार-बार फिसलती जुबान। वही गाली-गलौच वाली भाषा। वैसे छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस तरह के बयान देने वाले नेताओं को जनता ने चुनाव में सबक सिखाया है। ऐसे में 2023 के चुनाव में इन नेताओं को लेकर जनता का क्या मूड रहेगा? बड़ा सवाल है।
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