Day long marathon meeting for candidate selection : रायपुरः निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर मीटिंग और मंथन का दौर चला। कांग्रेसी खेमे में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक करीब 6 घण्टे चली। जिसमें एक-एक नाम पर चर्चा के बाद विरोधियों को मात देने वाले चेहरों को ही चुनाव मैदान में उतारने का दावा है। इधर, भाजपा के चुनाव प्रभारियों की मौजूदगी में वरिष्ठ नेताओं ने मंथन कर नाम फायनल करने की कवायद की। दोनों पक्षों के सामने दिक्कत यही है कि दावेदारों की लंबी फेहरिस्त में से किसी एक को प्रत्याशी बनाने के बाद बाकी दावेदारों को वक्त रहते साध लिया जाए, क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पक्ष इन 15 निकायों पर जीत के साथ पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में जुटे हैं।
दिसंबर मे छत्तीसगढ़ में होने जा रहे 15 नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस चुनाव समिति की मैराथन बैठक हुई…बैठक में प्रदेश के प्रभारी सचिव चंदन यादव ,प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शामिल हुए। बैठक में निकाय चुनाव के लिए पर्यवेक्षकों द्वारा बनाई गई संभावित प्रत्याशियों की सूची पर बात हुई। सबसे पहले रिसाली और उसके बाद भिलाई- चरौदा, भिलाई और बीरगांव के लिए प्रत्याशियों के नाम पर मंथन हुआ। एक-एक नाम पर रायशुमारी की गई। इन 15 निकायों में से तीन नगर निगम और एक नगर पालिका परिषद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले में आते हैं। लिहाजा यहां पार्टी साख दांव पर लगी है। दावा है कि एक एक नाम पर गंभीरता से चर्चा कर जिताऊ उम्मीवार को ही चुनाव मैदान में उतारा जाएगा ।
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इधऱ,भारतीय जनता पार्टी के जिला और संभागीय चयन समिति की बैठक रायपुर और दुर्ग में हुई। बैठक में जिला चयन समिति की संभावित प्रत्याशियों की सूची पर सभी वरिष्ठ नेताओं की राय ली गई। सबसे पहले सिंगल नाम वाले वार्ड के प्रत्याशी तय किए गए। फिर 2 से अधिक नामों पर चर्चा की गई। पूर्व मंत्री और रायपुर संभागीय चयन समिति के सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि प्रत्याशियों की योग्यता, पार्टी के प्रति समर्पण और जीतने की संभावना को देखकर नाम तय किये गये हैं। जिसकी घोषणा भी होती जा रही है ।
कुल मिलाकर प्रत्याशी चयन के लिए दोनों पार्टियों की बैठक में एक-एक नाम पर चर्चा के बाद दावा यही है कि जीतने वाले चेहरे को टिकट दिया जा रहा है। दोनों दलों की तैयारी बताती है कि इन 15 निकायों में हो रहे चुनाव को कांग्रेस और भाजपा कतई हल्के में नहीं ले रही है। इसे 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले जनता का मूड भांपने के तौर पर भी देखा जा रहा है। सवाल ये कि इस कवायद में बाजी कौन मारता है। बचे दावेदारों को कौन बेहतर साध पाता है?
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