छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के उत्पाद ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजारों में मचा रहे हैं हलचल

छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के उत्पाद ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजारों में मचा रहे हैं हलचल

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  • Publish Date - January 2, 2025 / 02:13 PM IST,
    Updated On - January 2, 2025 / 02:13 PM IST

रायपुर, दो जनवरी (भाषा) छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के आदिवासियों द्वारा तैयार कैमोमाइल चाय, ढेकी कुटा चावल, देसी गाय का शुद्ध घी और महुआ गोंद के लड्डू जैसे बेहतरीन उत्पाद इन दिनों ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजारों में हलचल मचा रहे हैं।

‘जशप्योर’ ब्रांड के नाम से बेचे जाने वाले इन उत्पादों का कच्चा माल मध्य भारत के उपजाऊ क्षेत्रों से प्राप्त किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर वस्तु उच्चतम गुणवत्ता की है।

छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के आयुक्त रवि मित्तल ने ‘जशप्योर’ ब्रांड को लेकर कहा, ”जशप्योर’ ब्रांड प्रामाणिकता के साथ—साथ प्रकृति की अदम्य सुंदरता का प्रतीक है। यह स्वास्थ्य, पोषण और गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतरीन ब्रांड है।”

जशपुर के जिला कलेक्टर के रूप में मित्तल ने कई उत्पादों के साथ ब्रांड को लॉन्च करने की योजना तैयार की थी। इस ब्रांड में उन उत्पादों को शामिल किया गया है जिनकी आपूर्ति जिले के अलग—अलग स्थानों से की जाती है।

जशप्योर ब्रांड के तहत ‘फॉरेस्ट गोल्ड वन्यप्राश’ हाथ से चुने गए तथा प्राकृतिक रूप से सूखे महुआ फूलों से तैयार किया जाता है। वहीं ‘ब्लू पी और लैवेंडर’ टीबैग छाया में सुखाए गए ब्लू पी और लैवेंडर की पंखुड़ियों से बनाए गए हैं।

इसी प्रकार कैमोमाइल टीबैग कैमोमाइल फूलों से बने होते हैं जिनमें कोई कृत्रिम पदार्थ नहीं होता। इस ब्रांड के तहत ‘कोल्ड प्रोसेस्ड राइस जवाफूल’ हाथ से कूटा हुआ ढेकी कुटा चावल है जो पारंपरिक चावल की तुलना में अधिक पोषण प्रदान करता है।

इस ब्रांड के तहत देसी गाय का शुद्ध घी, कुट्टू का फलाहारी आटा, कुटकी बाजरा, रागी का आटा, कोल्ड-प्रेस्ड सरसों का तेल और महुआ गोंद के लड्डू हस्तनिर्मित उत्पाद हैं।

जशपुर से ताल्लुक रखने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार न केवल ब्रांड के माध्यम से महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों का उत्थान कर रही है, बल्कि देश के सामने जिले की समृद्ध विरासत को भी प्रदर्शित कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘मुझे इस पहल पर गर्व है और मुझे विश्वास है कि इसकी सफलता देश भर में इसी तरह के प्रयासों को प्रेरित करेगी, जिससे स्थायी आजीविका और मजबूत समाज का निर्माण होगा।’

भाषा संजीव नरेश

नरेश