छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राधिकरणों के पुनर्गठन का फैसला किया

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राधिकरणों के पुनर्गठन का फैसला किया

  •  
  • Publish Date - June 19, 2024 / 11:15 PM IST,
    Updated On - June 19, 2024 / 11:15 PM IST

रायपुर, 19 जून (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन का फैसला किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन का निर्णय लिया है।

अधिकारियों ने बताया कि इसका उद्देश्य पांचों प्राधिकरण की कार्य प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बनाने के साथ ही उन क्षेत्रों में जनसुविधा के कामों को गति प्रदान करना है।

उन्होंने बताया कि इन पांच प्राधिकरण की कमान अब सीधे मुख्यमंत्री के हाथ में होगी। क्षेत्र के स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अथवा सचिव इन पांचों प्राधिकरण के सदस्य सचिव होंगे।

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2004-05 में बस्तर, सरगुजा एवं अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछडा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

उन्होंने बताया कि प्राधिकरणों के गठन के बाद अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों, मजरा-टोला, पारा-मोहल्लों, वार्ड तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आवश्यकताओं के अनेक महत्वपूर्ण कार्य कराए गए थे।

अधिकारियों ने बताया कि 2019 में राज्य में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने इन प्राधिकरण के कार्य संचालन की प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया। इसके कारण प्राधिकरणों का न सिर्फ महत्व कम हो गया, बल्कि इनके कार्यों में पारदर्शिता का अभाव होने के साथ ही शासन स्तर पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने पांचों प्राधिकरण के पुनर्गठन और निधि नियम के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पारित एक संकल्प के तहत राज्य के जितने भी मैदानी क्षेत्र हैं, जहां अनुसूचित जनजातियों की 25 प्रतिशत से अधिक आबादी है, उन क्षेत्रों के गांवों और ब्लाक को मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के दायरे में शामिल किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त कर मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप कार्य करेंगे।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्राधिकरण सामाजिक, आर्थिक और सर्वांगीण विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। प्राधिकरण को सशक्त, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में प्राधिकरण के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों के लिए बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के लिए 50-50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है तथा ग्रामीण एवं अन्य पिछडावर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के लिए 80 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

भाषा संजीव आशीष

आशीष