रायपुर: गांव, गरीब, किसान और धान के मुद्दे पर लगातार पिछड़ रही छत्तीसगढ़ बीजेपी दोबारा खड़े होने के लिए शराबबंदी के अलावा जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर होती दिख रही है वो है- धर्मांतरण। बस्तर, रायगढ़, बिलासपुर और सरगुजा में आदिवासियों और बहुसंख्यक वर्ग के बीच अपनी जमीन मजबूत करने के लिए धर्मांतरण के मुद्दे पर जोर दे रही है। युवा मोर्चा में धर्मांतरण के खिलाफ सक्रिय नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी और प्रदेश की कमान हार्डकोर हिंदू लाइनर को देने के बाद युवा मोर्चा की पदयात्रा और विधानसभा में स्थगन इस बात के स्पष्ट संदेश हैं। वहीं कांग्रेस भी बीजेपी के 15 सालों में सबसे ज्यादा धर्मांतरण का दावा कर बीजेपी के मुद्दे की हवा निकालने में लगी है। राम वनगमन पथ और कौशल्या माता का मंदिर धर्मांतरण की काट के लिए कांग्रेस के ब्रह्मास्त्र हैं। अब सवाल ये है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में वाकई धर्मांतरण बड़ा चुनावी मुद्दा साबित होगा?
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर सियासी घमासान जारी है। बीजेपी एसटी मोर्चा की कार्यकारिणी की बैठक में भी धर्मांतरण का मुद्दा पूरी तरह से छाया रहा। सरकार पर आरोप लगाते हुए बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस राज में छत्तीसगढ़ में कोई भी वर्ग अछूता नहीं है जो धर्मांतरण की जद में न आया हो। बीजेपी ने इसे डेमोग्राफी बदलने की साजिश बताया है।
केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में हो रहे धर्मांतरण की जांच करवाने की मांग की है। बीजेपी के तेवर बता रहे हैं कि वो अगले विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण को बड़ा मुद्दा बनाने के मूड में है। यही वजह है कि बीजेपी के सारे प्रमुख प्रकोष्ठों ने धर्मांतरण को एजेंडा बना लिया है। BJP का युवा मोर्चा पदयात्रा निकालकर इस बात को प्रचारित कर रहा है कि कांग्रेसी राज में धर्मांतरण बढ़ रहा है।
पिछले दिनों धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर गांवों में टकराव की खबरे भी सामने आई। दरअसल जो लोग धर्म परिवर्तन कर आदिवासी से ईसाई बन रहे हैं आदिवासी समाज उनके कानूनी अधिकार को खत्म करने की मांग कर रहा है। बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रही है कि आदिवासियों के संरक्षण के नाम पर सत्ता पर काबिज़ हुई कांग्रेस के शासनकाल में धर्मांतरण का कुचक्र बेख़ौफ़ चल रहा है।
कुल मिलाकर जिस तरह से धर्मांतरण के मुद्दे पर जुबानी जंग तेज हो रही है उससे साफ है कि बस्तर में आदिवासी वोटरों के बीच बढ़ते इस मुद्दे पर दोनों ही राजनीतिक दल अपनी स्थिति मजबूत रखना चाहते हैं। जाहिर है आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासत और तेज होगी।
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