Contract Employees Regularization Order High Court: 4 महीने के भीतर होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश

Contract Employees Regularization Order High Court: 4 महीने के भीतर होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश

Contract Employees Regularization Order High Court: 4 महीने के भीतर होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण / Image Source: IBC24 Customized

Contract Employees Regularization Order High Court: 4 महीने के भीतर होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण / Image Source: IBC24 Customized

HIGHLIGHTS
  • चार महीने में नियमितीकरण
  • योग्यता और अनुभव को आधार माना गया
  • एनआईटी की दलील खारिज

बिलासपुर: Contract Employees Regularization Order High Court संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा अब देशव्यापी हो गया है। नियमितीकरण की बात अब संसद तक पहुंच चुकी है। हालांकि कई राज्यों में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर वहां की सरकार ने अहम फैसला भी लिया है। लेकिन इस बीच छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर सरकार को निर्देश देते हुए 4 महीने के भीतर पर्मानेंट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ”याचिकाकर्ताओं को नौकरी करते एक दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है। लिहाजा उन्हें पर्याप्त अनुभव है। जिस पद पर काम कर रहे हैं उसी पद पर उनको नियमित किया जाए।

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Contract Employees Regularization Order High Court दरअसल याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल व 40 अन्य कर्मचारियों ने नियमितिकरण की मांग को लेकर हाई कोर्ट के समक्ष याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया, कि वे सभी एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं। नियुक्ति से पहले विधिवत विज्ञापन जारी किया गया था। लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद संस्थान ने इंटरव्यू लिया, और मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी गई थी। याचिका के अनुसार जिस पद पर काम कर रहे हैं शैक्षणिक योग्यता के साथ ही पर्याप्त अनुभव भी रखते हैं और सभी कर्मचारी नियमित पद के विरुद्ध कार्य करते 10 साल से अधिक का समय हो गया है। लिहाजा पर्याप्त अनुभव भी उनके पास है।

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मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध उमा देवी, स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध एमएल केसरी, विनोद कुमार व अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया , स्टेट ऑफ उड़ीसा विरुद्ध मनोज कुमार प्रधान , श्रीपाल व अन्य विरुद्ध नगर निगम गाजियाबाद आदि आदेशों का न्यायादृष्टांत प्रस्तुत किया।

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वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान एनआईटी के अधिवक्ता ने नियमितीकरण हेतु नियम नहीं होने की बात कही। जिस पर कोर्ट ने कहा, कि याचिकाकर्ताओं को कार्य करते 10 से लेकर 16 साल तक का समय हो चुका है। जो कर्मचारी जिस पद पर पहले से ही काम कर रहे हैं, उसी पद के तहत इन्हें नियमित किया जा सकता है। कोर्ट ने एनआईटी को याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का निर्देश दिया है।

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क्या यह आदेश सिर्फ एनआईटी रायपुर के कर्मचारियों के लिए है?

हां, यह फैसला फिलहाल सिर्फ एनआईटी रायपुर के संविदा कर्मचारियों के लिए लागू है, लेकिन इसका प्रभाव अन्य सरकारी संस्थानों पर भी पड़ सकता है।

क्या सभी संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण होगा?

नहीं, यह फैसला उन्हीं कर्मचारियों के लिए है जो लंबे समय से (10+ साल) कार्यरत हैं और जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया मेरिट आधारित थी।

अगर चार महीने में नियमितीकरण नहीं हुआ तो क्या होगा?

यदि चार महीने के भीतर कर्मचारियों को पर्मानेंट नहीं किया गया, तो वे कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) याचिका दाखिल कर सकते हैं।

क्या यह आदेश छत्तीसगढ़ के अन्य सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू होगा?

नहीं, यह विशेष रूप से एनआईटी रायपुर के कर्मचारियों के लिए है, लेकिन यह अन्य संविदा कर्मचारियों के लिए एक नजीर (Precedent) बन सकता है।

क्या संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए केंद्र सरकार कानून बना रही है?

केंद्र सरकार ने अभी तक ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है, लेकिन विभिन्न राज्यों में इस पर चर्चा चल रही है।