CG Municipal Politics: अब ‘भगवान भरोसे’ महापौर रामशरण!.. BJP छीन सकती है निगम की सत्ता, कांग्रेस ने पहले ही कर दिया है पार्टी से बेदखल

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  • Publish Date - December 5, 2023 / 05:04 PM IST,
    Updated On - December 5, 2023 / 05:06 PM IST

बिलासपुर: विधानसभा चुनाव व प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब निगम सरकारों के बीच अविश्वास का संकट खड़े होने लगा है। रायपुर नगर निगम से इसकी शुरुवात भी हो गई है। जिसके बाद अब प्रदेश के दूसरे बड़े शहर बिलासपुर में भी नगर निगम की राजनीति गरमाने लगी है। यहां विपक्ष में बैठी भाजपा भी इसे लेकर गुणा भाग में जुट गई है। अपनी ही पार्टी में मेयर को लेकर नाराजगी का भी लाभ यहां भाजपा को मिल सकता है। हालंकि, इन सब के बीच कांग्रेस की निगम सरकार अपने को बहुमत के साथ सुरक्षित मान रही है।

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दरअसल बिलासपुर शहर में भी भाजपा विधायक बनाने में कामयाब रही है। ऐसे में अब भाजपा की नजर निगम सरकार पर भी है। वैसे तो निगम चुनाव को लेकर अभी लंबा वक्त है, लेकिन भाजपा इस बीच निगम के सियासी समीकरण में भी सेंधमारी कर सकती है। रायपुर में अविश्वास के साथ इसकी शुरुवात हो गई है। ऐसे में अब प्रदेश के दूसरे नगर निगमों पर भी अविश्वास का संकट गहराने लगा है। कांग्रेस के कब्जे वाले बिलासपुर नगर निगम पर भी इसकी आंच पड़ सकती है।

भाजपा यहां बहुमत से ज्यादा दूर नहीं है। 70 में से 32 पार्षद यहां भाजपा के है वहीं 38 पार्षदों के साथ कांग्रेस निगम सरकार में काबिज है। जिस तरह विपक्ष में बैठी भाजपा शहर के विकास को लेकर लगातार निगम सरकार पर सवाल खड़े करती आई है, राज्य और शहर में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भाजपा अब निगम में भी उलटफेर कर सकती है। भाजपा पार्षद दल का कहना है, पार्टी के आदेश पर ये यहां भी संभव है। क्योंकि कांग्रेस की निगम सरकार ने अपने कार्यकाल में विकास के कोई काम नहीं किए हैं। बल्कि निगम और राज्य में कांग्रेस सरकार होने से निगम का विकास उल्टे अवरुद्ध रहा है। ऐसे में शहर विकास के लिए पार्टी के आदेश पर पार्षद दल अविश्वास पर भी विचार कर सकता है।

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इधर निगम सत्ता में बैठे कांग्रेसी महापौर भी अपनी ही पार्टी में हासिये पर हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान हुए वायरल ऑडियो ने उन्हें पार्टी में हासिये में ला दिया है। पार्टी ने पहले ही कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। हालंकि, स्वायत्त संस्था होने व पार्षद दल से मनोनित होने के कारण उनके मेयर पद पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन जिस तरह विपक्ष गोलबंदी में लगा है, इससे उनको नुकसान हो सकता है। उनकी कमजोरी का लाभ यहां भाजपा को मिल सकता है। हालंकि, कांग्रेस फिलहाल इससे इत्तेफाक नहीं रख रही है। निगम सभापति का कहना है कि, बहुमत के साथ वह निगम की सत्ता में काबिज हैं। लगातार निगम विकास के काम कर रहे हैं। ऐसे में पार्षदों के बीच व मेयर को लेकर नाराजगी जैसी कोई स्थिति नहीं है। बिलासपुर नगर निगम में कांग्रेस सरकार सुरक्षित है।

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