Big revelation on Mukesh Chandrakar Murder case : बीजापुर। बस्तर के बहुचर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) लगातार आरोपियों से पूछताछ कर रही है। इस दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मुकेश की हत्या अचानक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र का परिणाम थी।
दरअसल मुकेश चंद्रकर की हत्याकांड के मामले में पुलिस ने छः पन्नों का प्रेस नोट जारी किया है। इस नोट में ही उन्होंने सभी अहम् जानकारियां दी है। आरोपियों ने बताया कि मुकेश चंद्राकर की हत्या का षड्यंत्र नए साल से कुछ दिन पहले ही रच लिया गया था। हत्या का दिन, स्थान और शव को छिपाने की योजना पहले ही बनाई जा चुकी थी। 1 जनवरी की रात को इस खौफनाक योजना को अंजाम दिया गया।
Big revelation on Mukesh Chandrakar Murder case : एसआईटी को मुकेश के दोनों मोबाइल फोन की तलाश थी। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि हत्या के बाद सबूत मिटाने के इरादे से मोबाइल फोन नदी में फेंक दिए गए थे। जांच एजेंसी को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं।
बुधवार को आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 21 जनवरी तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। प्रदेश सरकार और पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मुकेश चंद्राकर को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
Big revelation on Mukesh Chandrakar Murder case : मुकेश चंद्राकर के परिवार ने 3 जनवरी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह 1 जनवरी की रात से लापता हैं। जांच के दौरान पुलिस ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर पर छापा मारा, जहां एक नए सैप्टिक टैंक से मुकेश का शव बरामद किया गया। घटना के बाद सभी आरोपी फरार हो गए थे, लेकिन कुछ ही दिनों में मुख्य साजिशकर्ता सुरेश चंद्राकर समेत सभी गिरफ्तार कर लिए गए।
इस हत्याकांड ने पत्रकारिता जगत और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। देशभर में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं। पत्रकारों की सुरक्षा और मुकेश चंद्राकर को न्याय दिलाने की मांग तेज हो गई है।
Big revelation on Mukesh Chandrakar Murder case : सरकार ने मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर पर सख्त रुख अपनाते हुए उसके ठिकानों पर बुलडोजर चलवा दिया है। उसके सभी ठेके रद्द कर दिए गए हैं और लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया है। अब देखना यह है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषियों को कितनी सख्त सजा मिलती है। इस तरह मुकेश चंद्राकर का यह मामला न्याय व्यवस्था और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गया है।