Bhojli festival in India : रायपुर। राजधानी में भी अंचल सहित भोजली का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया गया। हर साल की तरह गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति एवं छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ युवा प्रकोष्ठ मातृशक्ति संगठन के संयुक्त तत्वाधान में रायपुर नगर स्तरीय भोजली महोत्सव कोरोना गाइडलाइन एवं शासन प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए गरिमामय गरिमामय ढंग से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में दुलेशवरी सिदार (जनपद अध्यक्ष पाली जिला कोरबा) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। लोगों ने भोजली की पूजा अर्चना कर अपनी संस्कृति को बना रखने की शपथ ली और समाज, प्रदेश एवं राष्ट्र के लिए खुशियों की कामना की।
क्या है भोजली
छत्तीसगढ़ में सावन महीने की नवमीं तिथि पर छोटी-छोटी टोकरियों में थालियों में मिट्टी डालकर उसमें अन्ना के दाने बोए जाते हैं। यह दाने कुछ धान, गेहूं, जौ, कोदो, अरहर, मूंग, उड़द आदि के होते हैं ।
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इसके अंकुरित होने के बाद पौधे बन जाने पर इसे भोजली करते हैं। अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग नाम से जाना जाता है । प्राचीनकाल से देवी देवताओं की पूजा अर्चना के साथ प्रकृति की पूजा किसी न किसी रूप में की जाती है ।
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ग्रामीण अंचल में भोजली बोने की परंपरा का निर्वहन पूर्ण श्रद्घा के साथ किया जाता है । छत्तीसगढ़ में भोजली पर्व का विशेष महत्व है, इस दिन गांव में लोग अपने कधो मित्रता को भोजली भेंट करते हैं और सभी वर्ग को भेंटकर आदर करते हैं भोजली में लोकगीत हैं जो श्रावण मास शुक्ल से रक्षाबंधन के दूसरे दिन तक गांव गांव में गूंजती है और भादो कृष्ण पक्ष में भोजली विसर्जन किया जाता है।