Elderly father became the support of disabled son at the age of support: बेमेतरा। कहा जाता है कि बेटा माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा होता है, लेकिन बेमेतरा जिला से एक ऐसी तस्वीरें सामने निकलकर आई है, जहां एक बुजुर्ग दम्पति बेटे का सहारा बन उसे साइकल में बिठाकर शासन की योजना का लाभ दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचा। कलेक्टर से मुलाकात कर दिव्यांग बेटे के लिए बैटरी चलित ट्रायसाइकिल की मांग की।
पूरा मामला बेमेतरा जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर ग्राम चोरभट्ठी का है, जहां बुजुर्ग पिता स्वयं सहारे के उम्र में बेटे का सहारा बना हुआ है। बुजुर्ग दंपत्ति 65 वर्षीय कुंवर सिंह, पत्नी व बेटा परमेश्वर को साइकल में बिठाकर कलेक्टोरेट पहुंचा। बुजुर्ग कुंवर सिंह ने बताया कि बेटा परमेश्वर 35 साल का है, जो जन्मजात दोनों पैर से दिव्यांग है, जिसके लिए शासन की योजना से मिलने वाले बैटरी चलित ट्राईसाईकिल का लाभ लेने कलेक्टर के पास पहुंचे हैं।
कई बार विभाग के साथ ही शिविर में भी आवेदन किया, लेकिन निराशा के अलावा कुछ नहीं मिला। उसे बार-बार बैरंग ही लौटना पड़ा। दिव्यांग परमेश्वर ने बताया कि वह जन्म से दोनों पैरों से दिव्यांग है, पहले 50 प्रतिशत था और अब उम्र के साथ उनकी दिव्यांगता बढ़ती जा रही है। कई बार विभाग से साईकिल का मांग की, लेकिन विभाग से कुछ नहीं हुआ। हालांकि अब जिला प्रशासन ने उन्हें योजना का लाभ देने आश्वासन दिया है और उनकी दिव्यांग का प्रमाण पत्र अपडेट कराने कहा है, जिससे पात्रता अनुसार दिव्यांग को शासन की योजना का लाभ मिल सके। IBC24 से मोहन पटेल की रिपोर्ट