जगदलपुरः छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश का नंबर वन न्यूज चैनल अपने जनभागीदारी और सामाजिक दायित्व की सहभागिता को निभाते हुए उन लोगों को सम्मानित किया है, जिन्होंने अपना पसीना बहाकर अपनी मेहनत और ईमानदारी से धुर नक्सल क्षेत्र बस्तर में विकास की नई इबारत लिखी या बस्तर को विकास के राह में आगे बढ़ाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, सांसद फूलोदेवी नेताम, दीपक बैज शामिल हुए। सीएम भूपेश ने बस्तर का नाम विश्व पटल में जगाने वाले 14 संस्थानों और व्यक्तियों को सम्मानित किया।
Read More : पद्म पुरस्कारों की घोषणा, रवीना टंडन से लेकर इन 106 हस्तियों को मिलेगा सम्मान…
इस कार्यक्रम में सीएम भूपेश ने IBC24 के साथ संवाद भी किया। IBC24 के मैनेजिंग एडिटर परिवेश वात्स्यायन के सवालों का जबाव दिया। सीएम भूपेश ने कहा कि बस्तर अपनी संस्कृतियों को लेकर हमेशा आर्कषण का केंद्र रहा है। बस्तर का विकास दबाव पूर्ण नहीं हो सकता है. इसके लिए वहां के आदिवासियों को विश्वास में लेना होगा। पहले बस्तर में भय का माहौल होता था। लेकिन अब बस्तर बदल रहा है। यहां की धरती लाल हो चुकी है, लेकिन अब राज्य सरकार की योजनाओं से बस्तर अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा है।
मैनेजिंग एडिटर परिवेश वात्स्यायन गणतंत्र दिवस पर मिलेट झांकी के रिजेक्ट सवाल किया तो सीएम भूपेश ने कहा कि पूरी दुनिया इस साल को मिलेट्स इयर घोषित किया हुआ है। सबसे बड़ा प्लांट यहां है। केंद्र सरकार भले राजपथ पर न दिखाएं, उससे फर्क नहीं पड़ता है लेकिन पूरी दुनिया को यहां के काम को देख रहा है। जो जल जमीन जंगल की बात आदिवासी करते हैं, हमने उसको वापस लौटाया। यहां के उत्पादों को प्रसंस्करण हो रहा है।
Read More : सूखे नदियों को जीवित करने के सवाल पर सीएम बघेल बोले – नरवा प्रोजेक्ट ने बढ़ाया जलस्तर …
इस दौरान IBC24 के मैनेजिंग एडिटर परिवेश वात्स्यायन द्वारा बस्तर को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, बस्तर के लोगों बहुत सरल औऱ सहज हैं। उसको समझना पड़ेगा। पहले लोगों में खौफ था लेकिन अब ये दूर हो गया है। अब यहां के लोग देर रात भी घर जाते हैं। हमारी सरकार ने लोगों के मन से डर को दूर करने का काम किया। पहले आदिवासियों को ही नक्सली कहा जाता था लेकिन हमने प्रशासन को लोगों से जोड़ा। और आदिवासियों के मन से ये डर दूर हुआ। हमने आदिवासियों के उत्पादों को खरीद कर उनके जेब में पैसा डालने का काम किया। हमने सभी बनोपजों का सर्मथन मुल्य घोषित किया। इससे आदिवासियों की जिदंगी सवरी। पहले यहां के लोगों को लगता था कि सड़के सुरक्षाबलों के लिए बनाया जा रहा है लेकिन हमारी सरकार आने के बाद लोगों का सोच बदला है।
IBC24 के मैनेजिंग एडिटर परिवेश वात्स्यायन सवाल के जवाब में सीएम भूपेश ने कहा कि भाजपा के पास अब बोलने के लिए कुछ नहीं। 15 साल मौका मिला लेकिन बस्तर को नहीं बदल पाए। हमने आदिवासियों के संकृति को बचाने की का काम की है। आज बस्तर में 1800 देवगुड़ी बन गए हैं। हमने आदिवासियों के संस्कृति को सहेजने का काम किया। हमने स्वास्थ्य के बेहतरी के लिए काम किया। पहले बस्तर में मलेरिया 4 प्रतिशत था लेकिन अब 0.7 प्रतिशत पर आ गई है। आज मलेरिया से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई। हमने शिक्षा के छेत्र में स्कूल खोलने का काम किया। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के अनुभव साझा करते हुए सीएम भूपेश ने कहा कि सुकमा में मैने चेंबर ऑफ कॉमर्स के लोगों से पूछा कि पहले और अब में क्या अंतर हैं। उसने कहा कि पहले रोटी-बेटी के संबंध बनाने में कठिनाई होती थी लेकिन अब नहीं हो रही है।
Read More : आरक्षण को लेकर सीएम बघेल का बड़ा बयान, कहा – हमने ऐसा कोई काम नहीं किया जो संविधान के विपरीत हो ….
सीएम ने कहा कि हमारे पास चुनौतियां कम नहीं थी। लॉकडाउन से समय सब कुछ बंद था, आदिवासियों के वनोपज की खरीदी नहीं हो रही थी। हम किसानों और आदिवासियों के साथ खड़े हुए और वनोपज की खरीदी की और किसानों के खाते में पैसे भेजने का काम किया। इसके पीछे की ताकतों के सवाल पर सीएम ने कहा कि हमारे साथ छत्तीसगढ़ की जनता है। केंद्र सरकार के पास हमारा 17 हजार करोड़ रुपए बकाया है। भाजपा कहती थी कि ये कर्मचारियों और अन्य लोगों को कैसे पैसा देंगे। हमने ऐसे रास्ता निकाला कि सब लोग देखते रह गए। हमने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया और पूरा देश देखते रह गया।
भाजपा के राजनीति करने के आरोपों का जबाव देते हुए सीएम ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ के किसानों और आदिवासियों के जब में पैसा डालने का किया ये राजनीति नहीं है। भाजपा को जो बोनस का वादा करके नहीं देती ओ राजनीति है। मोदी Vs भूपेश बघेल के सवालों पर सीएम ने कहा कि मोदी से मेरी लड़ाई नहीं है। ओ छत्तीसगढ़ की जनता के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। केंद्र सरकार हमारा पैसा नहीं दे रहा है। हम मांग रहे हैं, वो नहीं दे रहे हैं। यही हमारी लड़ाई है।